Book Title: Jinvallabhsuri Granthavali
Author(s): Vinaysagar, 
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 335
________________ २६४ आदि-प‍ - पद पद्याङ्क ११ अपुव्वपुव्वागमन० अप्पडिचक्का तवणिज्ज० ४ अप्पsिहयधम्मचक्केण १ अप्पयरपयडिबंधी ९९ अभिसारिकाह कांश्चि० २१ अमणुक्कोसाउ विरय० ८२ अमन्दानन्दं २१ अमयमिव ११ अमरवरविसरकय० १५ अमुणियगुणदो अयरंतकोडाकोडिउ ८१ अयि ! तरुणि ८१ अयि सुमुखि ! सुनेत्रे ! ८० अरदिक्खा नमिनाणं पृष्ठाङ्क ५७ १६९ १५४ ९ ११६ ७ ९७ ७३ १९६ ७४ ७ अरिकरिहरितिण्डु० १० अरिमरणपुरवहाई १८ अरिसकिडिभकुट्ठ० १५ २०८ ३३ ८४ अर्थे निःसीनि २६ अर्हच्छास्त्रनिशातशा० ५५ १४६ अवगणियनिजकज्जा ७ ७८ अवि जिणवयणं २७ अवियाणियपरमत्था ४१ अवणेइय तं मज्झे २४ १०६ १२५ १९३ २०७ अवयरण- जम्म० २ १७० अवयरिए तई पियरो १२ १५५ अवराइयाउ रायग्गिहं २ १८६ ६७ ५३ ५१ अवरे नियडिपहाणा ६ ७८ अव्वो किमपत्तगुणो ३१ १९९ असढेण समाइन्नं ५० Jain Education International आदि-पद पद्याङ्क पृष्ठाङ्क असणाइचउब्भेयं ९ २३ असमभयहासकेली० १५ ६६ ८ १६१ असयं सेविय वीसं असरिसगुणेहिं १७९ असि - फरय-करा ४ १६९ ४० असुरसुरं अचबचबं : २ असुरिंदसुरिंदनरि० २ १५१ ८ असुहाण संकिलेसेण ९० अस्खलितसुललित० १६ १४१ अस्मिन्नस्मरवैरबन्धु० ७१ १४८ अस्याः सद्यो ५९ १०३ अस्सन्नि आइ २५ १६ अह अट्ठमभत्तं १५९ अह उवविसित्तु ४७ अह कहमवि जाया अह कहवि अह कहवि किलेसा अह गिरिसरिओव० अह चउपन्नदिणंते अह चलियासणछ० अह चुलसीइसहस्से अह झत्ति जगुज्जोए अह पक्खियं अह पुन्नपुंज ० अह बासीइदिणंते अहमाहमेहिं नामा० अह वरिसदिन्नदाणो अहव न जिमेज्ज अहवा जंं तग्गाहिं परिशिष्ट For Private & Personal Use Only १५ २ ६ ५ ८ १० १९ १४ ३४ २० ११ ४८ ५ ९९ ६ ७३ ६५ ७३ ६५ १५७ १५२ १५२ १५५ ४८ ६६ १६२ ५३ १५७ ३१ २३ www.jainelibrary.org

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