Book Title: Jinvallabhsuri Granthavali
Author(s): Vinaysagar, 
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 339
________________ २६८ परिशिष्ट - २ पृष्ठाङ्क | ५९ ४७ ४८ १४६ २२५ ७८ १६४ १७३ ११४ आदि-पद पद्याङ्क एयंजुत्तेहिं १८ एवं खेत्तसुरीए २२ एवं चिय चउमासे एवं चिय ठिइठाणा एवं चिय सहलत्तं २० एवं ता देवसिय २५ एवं पि अम्ह एवं प्रमोदप्रोदञ्च० ७ एवं यत्पञ्चकल्याण० १२ एवं विसिट्ठकाला० १ एवंविहाण वि दढं ११ एवं वीरजिणे दिणेसर ४४ एवं सेवापरहरिहया० २९ एसेगिंदियजिट्ठो ७५ एसो पंचनमुक्कारो ८ ओइन्नो सव्वट्ठाउ २ ओसन्नोऽवि विहारे ५७ ओसप्पिणी असंखा १४ ओहट्टइ सम्मत्तं ६४ औषधं प्राह रोगाणां ३५ कंकिल्लपमुहलट्ठ १ कं कीदृक्षं स्पृहयति १५३ कंदप्पदप्पनिट्ठिवणाइ १९ कंदप्प-सप्प-दप्प० ३ कः स्यादम्भसि १५९ कणयपहं कुसमय० ३ कणयंबुरुहच्छाओ . ३ कत्तियअमावसाए ६ कत्तियअमावसाए ४३ आदि-पद पद्याङ्क पृष्ठाङ्क कत्तियकिण्हाए २ १८७ कत्तियबहुले पंचमि २ १९३ कत्तियमासअमावस० १५ १६६ कत्तियसियतइयाए ५ १८० कत्थइ कुप्पवयण० १६ १९८ कत्थवि समत्थकुति० १८ १९८ कदाचित् विहरन् ५४ कन्नेसु कडसलागा० २६ १६३ कन्नोवगे ससंके ३ १८७ कपटपटुदेवतार्चा ११७ १३१ कप्पदुमकदलीउव्व १ १८३ कप्पूरपूरसिंदूर २ । कमभिसरति लक्ष्मी:? ८ कमसो चउदस २१ १५५ कमसो विउव्वि० ९६ कमसो विगल० कम्मग्गहणे १७ २४ कम्मियचुल्लिय० कम्मियवेसण कम्मुरलदुगं कम्मुरलविउ० ४१ १७ कम्रोन्नम्रास्यपद्मा कयकुनयकमलमलणं ८ २१० कयगहिरविरससद्दो १० कयछट्ठो फग्गुण० ४ १८१ कयविकयरूवभी० १२ २११ कयं मए किं करणि० १८ ५७ करि-मयर-संख-चक्कं २ १६८ करयलकलियतरुवरा ४ १७१ २५५ १८४ ५४ १९८ ११८ १८५ १३७ द ७१ १६८ १३८ १८३ १७७ १८९ १६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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