Book Title: Jinvallabhsuri Granthavali
Author(s): Vinaysagar, 
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 342
________________ जिनवल्लभसूरि-ग्रन्थावलि ૨૭૧ पृष्ठाङ्क १० १०३ * १३७ * * * * * * * * २८ ११३ आदि-पद पद्याङ्क पृष्ठाङ्क केवलिभासिय रीति २ २५३ केवलियनाणदंसण० ४१ ४ के वाऽभ्रंकषकोटयः १५८ , १३८ केष्टा विष्णोर्निगदति १४१ १३५ कोऽयं दर्पकरूपदर्प० ७ ९५ को धर्मः स्मृतिवादि०१५७ कोपत्र्यस्त्रपरान्मुखा० ८९ १०७ कोहंडी खंडियतित्थ० ११ १५८ कोहानलपसमणस० ३ १७० कोहे घेवर० ७० कोहो माणो क्रन्दत्संक्रन्दनं सद्य ६ २२६ क्रमनखदशकोटी० १ क्रव्यादां केन १४ ११५ क्रूराकस्मिकभस्मक० ४२ क्षतदुरितविकारं ७ क्षीरनीरधिकल्लोल० ९७ १०८ क्षीरनीरधिकल्लोल ८ क्षुण्णक्षय क्षिपितमो० ११ २२१ क्षुत्क्षामः किल को० १५ क्षुद्राचीर्णकुबोधकु० ६६ खंडइ पीसइ ८६ खङ्गश्रियोर्यमब्रवीत् ८९ १२७ खणमवि न खमं ६१ खण्डेल्लवंश्योऽग्रज ६२ १४७ खत्तियकुंडग्गामे १४ १६२ खरपवणुत्तालतण० २ खविय ठिइसंतमेगा ७ खवियन्नत्थम० आदि-पद पद्याङ्क | खित्तं सुहुमं ११३ खिवसु सलागापल्ले १२९ खीणाइतिसु य खीरतरुसुहच्छाया १५ खुड्डभवा साहीया . ७९ खुद्दोवद्दवविद्दव० २२ गइ-जाइ-तणु० ७ गइयाइसु ५३ गइयाईण य कमसो गंभीरधीराण १९ गंभीरनीरनिहिन० ३ गणिजिणवल्लह ३३ गतिजितगजलीलं १३ गतोऽहं संसारे नर० ४ गब्भगए चेव तए १५ गयगव्वे नमियव्वे २ गय वानर तरु धंखे १० गयवाहणो गयगई ४ गरिहह कयणेगाण० ६ गहणसमए अ जीवो १२२ गहियदलियस्स १०० गाढान्तर्वासनातो० ८३ गायद्गन्धर्वनृत्य गारवतिगोवरुद्धा गिहिणा सपरग्गा० ४६ गुंजावायसमु० ४ गुणैः पुष्टं जुष्टं चर० ६ गुणअगुणविहत्तिं १२ गुणमणिनिहिणो १ ५७ ७५ ७२ २२९ २२७ १५५ १७४ १४४ २४३ ५० १५० १७५ ৩৩ ०० १४७ ३० १०६ G ५४ ६८ २६ ६० २३८ ७४ १५९ २९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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