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कुवैत में पर्युषण पर्व : एक अनुभव
पं. राकेश जैन साहित्याचार्य श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान साँगानेर की । भगवान् की तस्वीर और अपने आराध्य मुनिराजों की तस्वीर ओर से इस वर्ष मुझे पयुषण पर्व में धर्मप्रभावना करने हेतु | आदि रखकर लोग वहाँ दैनिक दीपक, अगरबत्ती लगाकर कुवैत जाने का अवसर प्राप्त हुआ। पिछले दो वर्षों से कनाडा | पूजा-पाठ करते हैं। वहाँ पर सूरिमन्त्र से मन्त्रित प्रतिमा नहीं जाने के बाद किसी अरब देश में धर्म प्रभावना करने का यह है। फलतः मैंने पलासने में वेष्टित कर शास्त्र जी को विराजमान मेरे लिए पहला मौका था।
करने का सुझाव सभी भाइयों को दिया। गृह चैत्यालयों में “अरिहन्त सोशियल ग्रुप' के प्रमुख पदाधिकारी | प्रतिष्ठित प्रतिमा नहीं रखने का कारण पूछा तो उन्होंने दो तीन प्रेसिडेन्ट श्री विमल कुमार जैन का पत्र संस्थान में आया, | कारण बताये कि प्रवास पर दो-तीन महीने के लिए भारत जिस पर विचार कर संस्थान ने मुझे भेजने का निर्णय लिया।| आते हैं तो अभिषेक नहीं हो पाते हैं। दूसरा, अभिषेक के दिनांक 18/08/06 को जयपुर से मुंबई को तथा प्रातः 6:00 | लिए वहाँ कुये या बोरिंग का शुद्ध जल नहीं मिल पाता। बजे मुंबई से कुवैत के लिए रवाना हो गया। एयर पोर्ट पर ही | तीसरा, एयर पोर्ट से प्रतिमा लाने में दिक्कत होती है। नित्य संक्षिप्त में स्वागत की रश्म अदा कर श्री जैन प्रवास हेतु मुझे | देवदर्शन का नियम उनका कैसे पले इस विषय में विद्वानों अपने घर पर ले गये। परन्तु मर्सडीज में बैठकर जब में एयर | से सुझाव अपेक्षित हैं। पोर्ट से घर की ओर जा रहा था तो मन में यह संशय था कि 4. कार्यक्रम स्थल - पर्युषण के अठारह दिनों के अरब देश में मुझे शुद्ध शाकाहारी भोजन, शुद्ध जल आदि | कार्यक्रमों का आयोजन अलग-अलग घरों में हुआ। ये अठारह मिल पायेगा या नहीं। परन्तु यह कहते हुये मुझे प्रसन्नता हो | घर ऐसे चुने गये जिनके आसपास कोई कुवैती, पाकिस्तानी रही है कि वहाँ अपेक्षाकृत ज्यादा शुद्ध एवं पवित्र ही भोजन | या अन्य कोई कट्टरपंथी रहता न हो। आसपास कोई मस्जिद था, वैसे वहाँ का राष्ट्रीय भोज तो मांस ही है, फिर भी | न हो। अन्य धर्मावलम्बियों का इस तरह से एक जगह शाकाहारी लोग भी अपना जीवन आनन्द से व्यतीत कर रहे | एकत्रित होना कानूनन अपराध है। अतः प्रायः सावधानी हेतु
'Happy Birth Day' का एक कार्डशीट बोर्ड बनाकर तैयार 1. 18 दिन का पर्युषण पर्व - कुवैत में अरिहन्त | रखा जाता था। सोशियल ग्रुप एक ऐसा जैन संगठन है जिसमें दिगम्बर और 5. पर्युषण के दैनिक कार्यक्रम - वहाँ प्रातः सामूहिक श्वेताम्बर दोनों ही सम्प्रदायों के लोग परस्पर मतभेदों को | पूजा एवं सामान्य रूप से तत्त्वचर्चा होती थी, जिसमें माताभूलकर भगवान जिनेन्द्र के अनुयायी होकर संगठित रहते | बहिनों की संख्या अधिक होती थी। वहाँ के लोग धर्म की हैं। इस कारण से वहाँ की कमेटी ने श्वेताम्बर के आठ दिन, | बात सुनने के लिए सदैव लालायित एवं तत्पर रहते हैं। और एवं दिगम्बर के 10 दिन, कुल 18 दिन का पर्युषण पर्व | जो-जो भी बताया जाता था उसको ध्यान से सुनते थे, प्रश्न मनाने का दृढ निश्चय किया।
करते थे और जीवन में उतारने का प्रयास भी करते थे। ____ 2. जिनचैत्य एवं चैत्यालय का अभाव - कुवैत एक | मध्याह्न में बच्चों को धार्मिक संस्कार हेतु एक धार्मिक कक्षा पूर्णतः मुस्लिम देश है। इस्लाम धर्म, वहाँ का राष्ट्रीय धर्म है। भी चलायी, जिसमें बालकों को प्रारम्भिक, नैतिक एवं धार्मिक अतः इस धर्म के अतिरिक्त अन्य किसी भी प्रकार का | शिक्षा प्रदान की गयी। रात्रि में सामूहिक रूप से दोनों सम्प्रदायों धर्मायतन होना कानूनी अपराध है। किसी उदारहृदयी शेख | के अनुकूल भक्तामर स्तोत्र का उच्चारण एवं अर्थ समझाया के काल का एक गिरिजाघर बना हुआ है। जो अभी तक | जाता था पश्चात् एक घंटे का सामान्य जीवनोपयोगी धार्मिक चला आ रहा है। वैसे वहाँ कोई हिन्दुओं एवं जैनियों का | प्रवचन होते थे, जिसमें प्रतिदिन श्रोतागण आते थे। तत्पश्चात् मन्दिर नहीं है।
जिनस्तवन, आध्यात्मिक-भजन एवं आरती का कार्यक्रम । 3. प्रायः सभी घरों में चैत्यालय - वहाँ के जैनी भाई | होता था। आरती में एक आरती दिगम्बरसम्प्रदाय की दूसरी धर्म की आराधना बाहर तो नहीं कर सकते, परन्तु सभी जैन | आरती श्वेताम्बरसम्प्रदाय की होती थी। श्रावकों के घरों में गृह-चैत्यालयों का निर्माण किया हुआ है। 6. संवत्सरी प्रतिक्रमण - भाद्रपद शुक्ला चतुर्थी को
18 अक्टूबर 2006 जिनभाषित
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