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जैन प्रतीक चिन्ह
सिद्धशिलाभली प्रकार दर्शायी जानी चाहिए, दो चन्द्राकार रेखाएँ अनावश्यक हैं.
परस्परोपाहोजीवानाम्
स्वस्तिक चिन्ह जैन प्रचलन के
परस्परोपणहो रवानामा प्रतीक चिन्ह समानुपातिक होना चाहिए.
अनुसार होना चाहिए.
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स्वस्तिक में चार बिंदु अनावश्यक हैं.
प्रतीक चिन्ह में परम्परानुसार रंगो का प्रयोग किया जाना चाहिए.
परस्परोपग्रहो जीवानाम्
हाथ के मध्य में चौबीस आरों
वाला चक्र एवं मध्य में अहिंसा
हाथ के मध्य में चौबीस आरों वाले चक्र
प्रतीक चिन्ह के निचले भाग में परस्परोग्रहो जीवानाम् लिखा जाना चाहिए.
लिरखा जाना चाहिए
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