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ग्रंथ में जैन दर्शन संबंधी मौलिक शोध परक लेखों का | महाराज ने अपनी सरल प्रवचन शैली से श्रद्धालुओं को मंत्र प्रकाशन किया जायेगा।
मुग्ध कर दिया। मेनपुरी (उ.प्र.) से पधारे जैन धर्म के वह कार्यक्रम एवं ग्रंथ प्रकाशन 'डॉ. शेखरचन्द्र जैन | मूर्धन्य विद्वान पं. श्री सुशील कुमार जी ने रात्री कालीन अभिनंदन समिति' द्वारा सम्पन्न होगा। साधुवृंद, विद्वानों, प्रवचन श्रृखंला में धर्म के सार गर्भित तत्वों की जीवन सहयोगियों एवं धर्म तथा समाज के नेताओं से उनका व्यवहार से जुड़ी हुयी विवेचना कर श्रद्धालुओं को प्रभावित आशीर्वाद, शुभकामनायें प्रेषित करने की सादर प्रार्थना की | किया। बरेली से पधारे योगाचार्य डॉ. नवीन जैन ने अपनी गई है। कार्यक्रम संभवतः फरवरी - 2007 में आयोजित विशिष्ट योग-ध्यान पद्धति से शिविरार्थियों को योग की नयी होगा।
क्रियाओं से प्रशिक्षण दिया।
दशलक्षण पर्व के अंतर्गत गांधीबाग स्थित महाजन राँची में अखिल भारतीय विद्वत संगोष्ठी संपन्न | वाड़ी में मुनि श्री समता सागर जी महाराज के सानिध्य में
। संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के | एक दस दिवसीय आध्यात्मिक श्रावक संस्कार शिविर का परम प्रभावक शिष्यत्व चिंतक पूज्य मुनि श्री 108 | आयोजन किया गया। जिसमें 250 शिविरार्थियों ने अनुशासन आर्जवसागर जी महाराज एवं ऐलक 105 श्री अर्पण सागर | में रहकर धार्मिक संस्कार ग्रहण किये इस अवसर पर जी महाराज के सान्निध्य में दिनांक 15 सितंबर 2006 से 17 | शिविरार्थियों एवं बाहर से पधारे अतिथियों के लिये आवास सितंबर 2006 तक षट् काल परिवर्तन एवं काल परिवर्तन | एवं आहार की समुचित व्यवस्था समिति द्वारा की गयी। में निमित्त ज्योतिष्क विमान विषय पर अखिल भारतीय | बीसवीं सदी के प्रथम आचार्य श्री शांतिसागर जी विद्वत संगोष्ठी का आयोजन भी दिगंबर जैन पंचायत, राँची महाराज की जीवन शैली पर एक भव्य प्रदर्शनी एवं शाकाहार के तत्वाधान में स्थानीय श्री दि. जैन भवन में किया गया। प्रदर्शनी का आयोजन मुनि श्री के निर्देशन में चिटणीस पार्क
इस संगोष्ठी में बडी संख्या में जैन एवं जैनेतर श्रोता | पर किया गया। उपस्थित रहते थे। प्रत्येक सत्र के अंत में पूज्य मुनि श्री आर्जवसागर जी महाराज ने समीक्षात्मक उदबोधन दिया तथा श्रोताओं की शंकाओं का निराकरण किया।
कर्म में संकोच कैसा ? प्रदीप बाकलीवाल
पवनार आश्रम में विनोबा की दिनचर्या एक आदर्श मंत्री - श्री दिगम्बर जैन पंचायत, राँची | संत की दिनचर्या थी। जन सेवा को ही वे राष्ट्र सेवा
मानते थे। इसलिए रोज ही वे एक तरह से सेवा के लिए 21 दिवसीय आध्यात्मिक समारोह सम्पन्न समय निकालते थे। सूरज उगने से पहले ही वे रोज सुबह
श्री वर्षायोग धर्मप्रभावना समिति, श्री दिगम्बर जैन कंधे पर फावड़ा रखकर सुरगाँव जाते थे और वहाँ सफाई परवार मंदिर ट्रस्ट एवं सकल जैन समाज, नागपुर द्वारा करते थे। एक बार कमलनयन बजाज ने उनसे पूँछा कि आयोजित 21 दिवसीय आध्यात्मिक समारोह के अंतर्गत आप फावड़ा रोज इतनी दूर अपने साथ क्यों ले जाते हैं? भक्ति सत्संग प्रवचन माला का समापन महानगर नागपुर के उस गाँव में ही किसी के यहाँ फावड़ा रोज क्यों नहीं छोड़ हृदय स्थल सप्रसिद्ध स्टेडियम भक्तिधाम चिटणीस पार्क में आते ? विनोबा जी बोले - जिस काम के लिए मैं जाता हूँ सोल्लास संपन्न हुआ। विशाल जनसमुदाय के बीच आचार्य उसका औजार भी मेरे साथ ही होना चाहिए। फौज का श्री विद्यासागर जी महाराज के धर्मप्रभावक शिष्य मुनि श्री सिपाही हमेशा अपनी बंदूक साथ लेकर चलता है। इसी समता सागरजी महाराज एवं ऐलक श्री निश्चय सागरजी तरह एक सफाई कर्मी को भी औजार सदा अपने साथ महाराज की धारा प्रवाह ओजस्वी वाणी का श्रद्धालुओं ने रखना चाहिए। इसीलिए मैं अपना फावड़ा अपने साथ भरपूर लाभ लिया। ज्ञान की इस गंगा में जैन समुदाय के रखता हूँ। कर्म में संकोच कैसा ? कमलनयन बजाज ने अलावा अन्य समाजों के धर्मावलंबी श्रद्धालओं ने प्रवचन आश्चर्यचकित होकर विनोबा जी का उत्तर सुना और माला में प्रतिदिन उपस्थित रहकर बढ़ चढ़कर धर्म लाभ | उन्हें देखते ही रह गये। लिया।
प्रियम् जैन, सनावद ओजस्वी वक्ता, कवि हृदय, मुनिश्री समता सागर जी
-अक्टूबर 2006 जिनभाषित 31
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