Book Title: Jina Shashan Ke Samarth Unnayak
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १८ जिनशासन के समर्थ उन्नायक मुनि - जीवन के स्वल्प समय में ही पद्मसागरजी ने अपनी विशिष्ट प्रतिभा का परिचय दिया. औत्पातिकी बुद्धि तीव्र स्मरण शक्ति और प्रौढ़ - प्रतिभा के धनी मुनि पद्मसागरजी केवल विद्या के क्षेत्र में ही नहीं, आध्यात्मिक जगत में भी तेजी से आगे बढ़े. आचार्य श्रीमत् कैलाससागरसूरीश्वरजी की अनवरत बरसती निःसीम कृपा के बल से समन्वय, मैत्री, करुणा, समता इत्यादि जीवन उन्नायक गुणों को भी आपने हृदयंगम कर लिया. विशेष कर अपने श्रद्धेय दादागुरु के प्रति आपका अद्भुत समर्पण भाव रहा. " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महानता ऐसे ही उपलब्ध नहीं हो जाती. उसके लिए हर प्रकार का संघर्ष सहन करना पड़ता है. कठिनाइयों में भी दृढ़ रहना पड़ता है. मुनि श्री पद्मसागरजी महाराज को भी अपने प्रारम्भिक श्रमण जीवन में एक नहीं अनेक संघर्षों का समाना करना पड़ा. किन्तु हर संघर्ष में आप अडिग रहे. दुःखों को क्षणिक समझकर जीने की आपकी मानसिकता गजब की रही है. कहा है कि- 'संपत्ति भी और आपत्ति भी महापुरुषों को ही होती है जैसे कि वृद्धि-क्षय के प्रसंग चन्द्र को ही होते हैं तारागण को नहीं. फिर भी महात्माओं के चित्त हमेशा महोदय में उत्पल की तरह कोमल और आपदाओं में मेरु की तरह अड़िग होते है'. मुनिश्री के जीवन में ऐसे भी दिन आए जब बिना किसी के सहारे जीना पड़ा. कभी गहरी बीमारियों की दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ा. कहा जाता है कि मारने वाले से बचाने वाले के हाथ बहुत लम्बे होते हैं. घातक परिस्थितियों में भी आपका सर्वदा बचाव होना एक चमत्कार ही तो है. ईसवीं सन् १९५६ के पाली (राज.) के चातुर्मास में आपको दुर्दैव वशात् जहरीले सर्प का दंश हो गया. परन्तु पुण्य-बल का साथ निरंतर था. प्राण तो बच गये लेकिन स्वास्थ्य को भारी धक्का लगा. असहनीय वेदना की भयंकर परिस्थिति में भी आपका धैर्य देखने वाले को दंग कर देनेवाला था. आखिरकार एक क्षत्रिय वंश की परंपरा का तेज जो था. उल्लेखनीय बात तो यह थी कि उन दिनों भी आपका अध्ययन अनवरत चालू रहा था. आपत्ति भी आपको ज्ञान संपदा देनेवाली सहायक सिद्ध हुई. कहते हैं कि 'आपत्ति में ही महापुरुषों की शक्तियाँ सम्यक् अभिव्यक्त For Private And Personal Use Only

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