Book Title: Jina Shashan Ke Samarth Unnayak
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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जिनशासन के समर्थ उन्नायक कहते हैं कि नेपाल जैसे हिमालय की पहाड़ियों में बसे देश में आपका पैदल आगमन भी एक आश्चर्यकारी घटना है. कभी गहरी तराइयों में से, तो कभी उत्तुङ्ग शैलों के शिखरों पर से विहरते हुए, कहीं घनघोर जंगलों में, तो कहीं पर गिरि-कन्दराओं के भयानक आगोश में पड़ाव करते हुए, सतत दो महिनों का सफर हुआ था. नेपाली जनता ने हाल में पहली बार किसी जैन साधु के दर्शन किये थे. श्रद्धा देखनी हो तो वहाँ की. लोगों के दिलों में जो स्थान धन दौलत वैभव आदि का होता है उससे कई गुना अधिक स्थान धर्मगुरूओं के प्रति देखने को मिलेगा. __ प्रतिष्ठा के पुनीत कार्यक्रम को चारों संप्रदायों के लोगों ने मुक्त मन से हर्षोल्लास पूर्वक मनाया. इतना ही नहीं नेपाल नरेश श्री महाराजा वीरेन्द्र वीर विक्रमशाह देव एवं महाराणी ऐश्वर्या देवी सहित भारत के प्रमुख संघों के श्रावकों ने भी भाग लिया. नेपाल नरेश ने श्री जैन संघ को हर प्रकार से सहयोग देने की तत्परता दिखाई. इस अवसर पर पूज्य गुरूमहाराज के प्रेरक प्रवचनों के संकलन 'गुरुवाणी' ग्रन्थ की नेपाल के प्रधानमन्त्री श्री देऊबा शेरबहादुर के द्वारा लोकार्पण विधि हुई. विश्व हिन्दू महासभा के अधिवेशन का प्रारंभ इन्हीं दिनों काठमाण्डू में आपकी निश्रा में हुआ जिसमें विश्व के १४ देशों से अग्रणी हिन्दू प्रतिनिधियों ने भाग लिया था.
नेपाल विश्व में एक मात्र हिन्दू राष्ट्र है. यहाँ की परंपरा रही है कि जो राजा होता है उसे भगवान् विष्णु का और महाराणी को भगवती महालक्ष्मी का अवतार माना जाता है. नेपाली लोग भगवान् की तरह उन्हें पूजते हैं, मानते हैं. महाराजा एवं महारानी की प्रत्येक नागरिक के घर पूजा होती है. यह वहाँ का नियम है. राजा-रानी प्रजा को मात्र दशहरे के दिन ही दर्शन देते हैं. हजारों लोग उनके दर्शन से साक्षात् भगवान् के दर्शन होने का अहोभाग्य मानते हैं. उस देश के महाराजा और महारानी सामने से पूज्य गुरुदेव के दर्शनार्थ पधारे और जो सर किसी के सामने नहीं झुकता उस उत्तमांग से दोनों ने आचार्यश्री से वासक्षेप रूप आशीर्वाद ग्रहण किये.
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