Book Title: Jina Shashan Ke Samarth Unnayak
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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जिनशासन के समर्थ उन्नायक ५४ सुमतिसाधुसूरि
तपागच्छ ५५ हेमविमलसूरि
आणंद विमलसूरि ५७ विजयदानसूरि और ऋद्धिविमलसूरि ५८ विजयहीरसूरि (अकबर प्रतिबोधक) ५९ सहजसागर उपा.
तपा. (सागर शाखा) जयसागर उपा.
जितसागर गणि. ६२ मानसागर ६३ मयगलसागर ६४ पद्मसागर (प्रथम) ६५ स्वरुपसागर ६६ ज्ञानसागर (नाणसागर) ६७ मयासागर ६९ नेमिसागर ७० रविसागर ७१ सुखसागर ७२ बुद्धिसागरसूरि ७३ कीर्तिसागरसूरि ७४ जितेन्द्रसागरजी ७५ कैलाससागरसूरि ७६ कल्याणसागरसूरि ७७ पद्मसागरसूरि (राष्ट्रसन्त) आचार्यश्री का शिष्य-प्रशिष्य समुदाय
इस तालिका में शिष्य प्र-प्रशिष्य आदि सूचक यथाक्रम a, b, C, d दिये गये है. सभी नाम दीक्षा पर्याय के अनुक्रम से दिये है एवं * चिह्नांकित कालधर्म पानेवाले मुनिवर है. ___a १ *उपाध्याय श्री धरणेन्द्रसागरजी
a २ आचार्यश्री वर्द्धमानसागरसूरिजी
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