Book Title: Jina Shashan Ke Samarth Unnayak
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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आचार्य श्री पद्मसागरसूरि घोषणा स्वयं मुख्यमंत्री ने लेमिंग्टन रोड पर स्थित नवजीवन सोसाइटी में आयोजित मुनि प्रवर के एक सार्वजनिक प्रवचन में आकर की.
गणिवर श्री पद्मसागरजी के पुण्य प्रभाव को देखते हुए दादागुरुदेवश्री ने सन् १९७६, ८ मार्च, सोमवार के दिन जामनगर (काठियावाड़) में पूज्य गुरुदेव कल्याणसागरजी महाराज के आचार्य पद
और एक युवा मुमुक्षु के दीक्षा के प्रसंग पर भव्य समारोह पूर्वक आपको पंन्यास पदासीन किया उसी प्रसंग पर एक मुमुक्षु की दीक्षा भी हुई. तत्पश्चात् योग्यता को देखकर गच्छाधिपति दादागुरुदेवश्री ने अतिशीघ्र ही आचार्य पद देने की उद्घोषणा कर दी.
सचमुच योगी-अवधूतों की गत न्यारी होती है. कौन जान सकता है उनके योग महात्म्य को. पंन्यास श्री पद्मसागरजी महाराज ने जब आचार्यदेव से सानुनय आग्रह किया कि इतनी छोटी उमर में मैं अभी इस पद के लायक नहीं हूं, तो उनका कथन था कि मैंने सोच समझकर निर्णय लिया है. जो निर्णय ले लिया उसमें अब फेरफार की संभावना नहीं है. श्री संघ ने इस ऐतिहासिक शुभ समाचार को शिरोधार्य कर लिया.
महेसाणा नगर की पावन धरा पर श्री सिमन्धरस्वामी तीर्थ भूमि के सानिध्य में भव्यातिभव्य महोत्सव आयोजित हुआ और ९ दिसम्बर सन् १९७६ के दिन एक विशाल व शानदार समारोह में आपको आचार्यपद से विभूषित किया गया. पूज्य गच्छाधिपति आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी महाराज, वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य श्री सुबोधसागरसूरीश्वरजी महाराज, विद्वान् आचार्य श्री मनोहरकीर्तिसूरीश्वरजी महाराज, विद्वान गुरुदेव श्री कल्याणसागरसूरीश्वरजी महाराज प्रमुख साधु-साध्वीजी भगवन्तों की अतिविशाल उपस्थिति इस आचार्यपद प्रदान समारोह के आकर्षण का मुख्य केन्द्र बनी रही थी. योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद बुद्धिसागरसूरीश्वरजी महाराज की यशस्वी पाट परंपरा में आचार्य बन जाने के बाद श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज की ख्याति में अभूतपूर्व वृद्धि हुई. __ आचार्य पद के शुभ अवसर पर गणमान्य राजपुरुषों के व लब्धप्रतिष्ठ विशिष्ट व्यक्तियों के शुभेच्छामय हृदयोद्गार इस प्रकार थे.
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