Book Title: Jina Shasan ke Kuch Vicharniya Prasang
Author(s): Padamchand Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 5
________________ अनुक्रमणिका कम १. प्रकाशकीय २. प्राक्कथन ३. अनादि मूनमत्रोऽयम् ... ४. भगवान पावं के पंचमहावन ५. पर्यषण और दशलक्षण पर्व... ६. अपदेशमत्तमज्नं ... ७. आचार्य कुन्दकुन्द को प्राकृत ८. आत्मा का अमख्यानप्रदशन्त्र ६. म्वम्निक रहस्य १०. पर्गिशष्ट मेरा अपना कुछ नहीं, सब प्राचारजन । लोग भरम मो पर कर, यानं नीचे नेन ॥ गुम्बापो संचय करन, प्रकट करन जिनन । पुण्य कार्य या जगत में, जान सब ही जन ।। मन्द-पदि में भक्ति-युत, प्राग्रह मम कछ नहि। तम्य-प्रतम्य विवारिक, सुषो घरो मन माहि॥" पप्रचन्द्र शास्त्री वीर सेवा मन्दिर, दिल्ली

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