Book Title: Jina Shasan ke Kuch Vicharniya Prasang
Author(s): Padamchand Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 43
________________ माचार्य कुन-कुन को प्रात पखंडागम [१,१.१.] (महाराष्ट्री के नियमानुसार '' को हटाया) - उपजा (दि) पृ. ११., कुणा .... वणड • ६८, पार पृ. ६६. उन्ना पृ० १७. गच्छा पृ. १७१ दुष्का १०१, भणह पृ० २६६, ममवह पृ०७४ मिच्छाइछि पृ० २०, वाग्गिकालो को गृ• ७१ - इत्यादि । (शौरसेनी के अनुसार '' को रहने रिया) - मुलाग्गा पृ. ६५. वर्णवि • ६६. उरि पृ. 16. परति पृ० १०५, उपककमांगो पृ. २, गर (न.) पृ. १२ णिगो पृ. १२७, ('' लोप के स्थान में 'य" सभी प्राकृतों के अनुसार) - मुगमायग्पाग्या पृ. ६६. भणिया गृ• ६५ गुपचया पृ. ६, गुदेवता पृ. ६८, ग्गिाकालीकओ' पृ. १. णवयगया (ना) + १०, कायना पृ. १२५, णिग्गया १०७. मुषणाणाच (निलोयाणान) पृ. ३५ लोप में 'य' और अलोप (दोनो) कुन्द-कुन्द 'प्रष्टपाहुर' के विविध प्रयोग - पन्ध नाम शब और गाथा का कम-निवेश दर्शनपाहुइ हादि होट हाई हर: हदि मूत्रपाहुड ६.० ११.१.४.१७ १६ रित्रपाहट -- बोधगड - भावपार - १६,५ - १४६ - १५.११.१ ४८.६५ १२२१४० ११० मांजगहा ३०३ ५२.६० हह १४,१८,८५,६ १०१, ५१,०८, ०,१०० 6 १. 'जन महागष्ट्री में नुन वर्ण के स्थान पर 'य' श्रुनि का उपयोग हुआ है जैसा बन गौरसेनों में भी होता है-पट्टागम भूमिका पृ० ८६ । २. 'द' का लोप है 'य' नहीं किया ।

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