Book Title: Jignasa Journal Of History Of Ideas And Culture Part 01
Author(s): Vibha Upadhyaya and Others
Publisher: University of Rajasthan
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शहंशाह अकबर की जैन धर्मनिष्ठा : एक समीक्षा / 87
शान्तिचन्द्रगणि ने साल में छ: महीने जीवहत्या निषेध की बात लिखी है। वस्तुत: ये छ महीने वर्ष के उन दिनों के योग हैं जो शहंशाह द्वारा पशुवध के लिये निषिद्ध घोषित किये गये थे। उनका विस्तृत विवरण हीर सौभाग्य में मिलता हैं
श्रीमत्पर्युषणादिनारविमिता: सर्वे रवेर्वासरा: सोफीयानदिना अपीददिवसा: सड़क्तान्तिघस्रा: पुन: मास: स्वीयजनेर्दिनाश्च मिहिरस्यान्येऽपि भूमीन्दुना हिन्दुम्लेच्छमहीषुतेन विहिता: कारूण्यपुण्यापणा:।। 14. 273
तेन नवरोजदिवसास्तनुजजनू रजबमासदिवसाश्च।
विहिता अमारिसहिताः सलतास्तरवो घनेनेव।। 14. 274 अर्थात पर्युषणा के 12 दिन, सभी रविवार सोफियान के दिन. ईद के दिन, संक्रान्ति के दिन, बादशाह के जन्म का सारा महीना, मिहिर के दिन, नवरोज के दिन. शहजादों के जन्मदिन तथा, रजब महीने के दिन, ये सारे दिन यदि जोड़े जाएं तो पूरे छ: महीने हो जाते है। इस प्रकार, शहंशाह ने साल में पूरे छ: महीने के लिये, पूरे साम्राज्य में पशुवध पर पाबन्दी लगा दी।
शहंशाह अकबर ने जो फरमान लिखाये उनमें बाईं ओर का शीर्षक है- जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर बादशाह गाजी का फरमान।
फरमान के दाहिने पार्श्व में अंकित है- शूरवीर तैमूर शाह का बेटा मीरनशाह. उसका बेटा सुल्तान महम्मद मीरजा, उसका बेटा सुल्तान अबूसैयद, उसका बेटा शेख अमर मीरजा, उसका बेटा बाबरशाह, उसका बेटा हुमायूँ बादशाह, उसका बेटा अकबर बादशाह जो दीन और दुनियां का तेज है।
शहंशाह के जीवनहत्या निषेध के फरमान की चर्चा प्रसिद्ध इतिहासकार बदाऊँजी ने भी किया हैं- In these (991=1583 A.D) new orders were given. The killing of animals on certain days was forbidden as on Sundey because this day is sacred to the sun during the first 18 days of the month of forwardin, the whole month Abein (the month is which his magesty was born) and several other days to please the I lindoos. This order was extended over the whole realm and capital punishment was extlcted on every one who acted against the command.
__- Badaoni p. 321 शहंशाह अकबर द्वारा जगद्गुरू हीरविजय के प्रसादनार्थ लिखे गये फरमानों में से अनेक, आज भी उज्जैन आदि के संग्रहालयों में सुरक्षित हैं। कृपारसकोश के आद्य सम्पादक मुनि जिनविजय ने दो महत्वपूर्ण फरमानों के छायाचित्र ग्रंथ में प्रकाशित किये हैं। (द्रष्टव्य : कृपारसकोश: पं. शीलचन्द्रविजय गणि सम्पादित सरस्वती पुस्तक भण्डार, 112 हाथीखाना रतनपोल, अमदाबाद 1996 ई.)
महोपाध्याय श्रीधर्म सागरगणि ने भी शहंशाह अकबर द्वारा लागू किये गये फरमानों का हवाला अपनी 'तपागच्छगर्वावली में उपाध्याय शान्तिचन्दगणि के नामोल्लेख सहित दिया है।
अथपुरा सूरिराजै: श्रीसाहिहृदयालवालारोपता कृ पालतोपाध्याय श्री शान्ति चन्द्रगणिभिः स्वोपज्ञकृपारसकोशाख्यशास्त्रश्रवणजलेन सिक्तता सती वृद्धिमति बभूव। तदभिज्ञानं च श्रीमत्साहिजन्मसम्बन्धी मास: श्रीपर्युषणापर्वसत्कानि द्वादशदिनानि, सर्वेऽपि रविवासरा: सर्वसङ्क्तावितिथयः नवरोजसत्को मास: सर्व ईदीवासराः सर्वे मिहिरवासरा: सोफिआनवासराश्चेति पाण्मासिकाउमारिसत्कं फुरमानं, जीजिआभिधानकरमोचनसत्कानि फुरमानानि च श्रीमत्साहिपाश्र्वात्समानीय धरित्रीदेशे श्री गुरूणां प्राभृतीकृतानीति। एतच्च सर्व जनप्रतीतमेव।