Book Title: Jeevandhar Swami Author(s): Dharmchand Shastri Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 2
________________ सम्पादकीय जीवंन्धर स्वामी की यह चित्र कथा जीवन को झंकृत करती है कि गर्भवस्था में राज्यपद, जन्म श्मसान भूमि में, बाल अवस्था श्रेष्ठीगृह, युवा अवस्था में दर-दर की ठोकरें तत् पश्चात राज्यपद प्राप्त करना। कितना कठिन संघर्ष मय जीवन । सुख-दुःख मय जीवन इन परिस्थितयों में मानव मोह वस ही तो अपनाता है। जब आत्म ज्ञान होता है तो उसे सद्ज्ञान की प्राप्ति होती है तो वह संसार को छोड़ने का प्रयत्न करता है। जीवंधर स्वामी के जीवन कि यही स्थिती रही कि पिता को मारकर काष्टांगर ने राज्य पद प्राप्त किया तथा काष्टांगर को मार कर जीवंधर ने राज्य पद प्राप्त किया तथा यह जानकर के वैराय हुआ कि छीना झपटी में जीवन व्यतीत हो जाता है। मृत्यु के पूर्व आत्म कल्याण करूँ तथा अन्त में जैनेश्वरी दीक्षा धारण कर मोक्ष प्राप्त करते हैं। जैन चित्र कथाएं Vikrant patni जैन चित्र कथा JHALRAPATAN आशीर्वाद परम पूज्या आर्यिका आदिमति माता जी प्रकाशक ___: आचार्य धर्मश्रुत ग्रन्थ माला कृति : जीवंधर स्वामी : सर्वाधिकार सुरक्षित सम्पादक : ब्र. धर्मचन्द शास्त्री प्रतिष्ठाचार्य शब्दाकन : ब्र. धर्मचन्द शास्त्री प्रतिष्ठाचार्य पुष्प नं : 42 20.00 प्राप्ति स्थान जैन मंदिर गुलाब वाटिका लोनी रोड़ जिला गाजियाबाद' (उ.प्र.) 914-600074 S.T.D. 0575-4600074 मूल्यPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 40