Book Title: Jambudwip Laghu Sangrahani
Author(s): Vijayodaysuri
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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पश्चमवलय
षष्ठवलय
१२५ धनुः
प्रथमवलय २ गाउ
" १ गाउ
द्वितीयवलय तृतीयवलय चतुर्थवलय १ गाउ १००० धनुः ५०० धनुः
" " धनुः , धनुः १००० धनुः ५०० धनुः । २५० धनुः
.. यन्त्रकम्-२ -
मूलकमल लंबत्व १ योजन विशालत्व पृथुलत्व २ गाउ कर्णिका लंबत्व कर्णिका , विशालत्व कणिका १ गाउ उच्चत्व
२५० धनुः
, धनुः १२५
" धनुः
६२॥ धनुः
"
"
१००० धनुः ५०० धनुः २५० धनुः १२५ धनुः
६२॥ धनुः
३१। धनुः
भुवनदेय
,, विस्तार १००० घनुः ५०० धनुः २५० धनुः १२५ धनुः , उच्चत्व १४४० घनुः ७२० धनुः ३६० धनुः १८० धनुः पीठिका दैर्ध्य ५०० धनुः २५० धनुः १२५ धनुः ६२॥ धनुः
६२॥ धनुः ९० धनुः ३१। धनुः
३१॥ धनुः १५धनुः ॥हस्त ४५ धनुः .. २२॥ धनुः १५ धनुः ७ धनुः ३। हस्त २॥ हस्त
, विस्तार ५०० धनुः , पृथुलत्व २५० धनुः
१२५ धनुः ६२॥ धनुः ३१। धनुः १५ धनुः
२॥ हस्त इति हिमवन्नगपद्महृदस्वरूपम् ॥
७ धनुः ३। हस्त
३ घनुः ३॥हस्त
३ अंगुल ।

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