Book Title: Jain Veero ka Itihas
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Jain Mitra Mandal

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Page 55
________________ (३६) का ज़माना था । स्कन्धगुप्त राज्य कर रहे थे। तव वुलन्दशहर के पास एक क्षत्रीवंश सन् ७ ई० से राज्य करता आ रहा था। और उस समय पुष्पमित्र राजा शासवाधिकारी थे। यह राजा अपने पूर्वजों की भान्ति एक भक्तवत्सल जैन था। स्कन्धगुप्त ने इस पर भी धावा बोल दिया। राजा बहादुरी के साथ लडा, परन्तु सम्राट् स्कन्धगुप्त के समक्ष वह टिक न सका (१४) गुजरात के वल्लभी राजा। . . ___ गुप्त राजाओं के बाद गुजरात में वल्लभी वंश के क्षत्री राजा अधिकारी हुए थे। इस वंश के कई वीर नरेश जैनधर्मानुयायी थे। पाँचवीं शताब्दि में राजा "शिलादित्य" ने जैनधर्म ग्रहण किया था। इनकी राजधानी का नाम, वज्ञभी था। इसीवंश के राजा "ध्र वसैन" प्रथम (५२६-५३५. ई०) के समय में श्वेताम्वराचार्य देवगिणि क्षमाश्रमण ने श्वेताम्बर आगम ग्रंथों को लिपिवद्ध किया था। इस वंश के बाद गुजरात में चालुक्य और राष्ट्रकूटवंशों ने राज्य किया। इन वंशों के जैनवीरों का उल्लेख हम आगे करेंगे। - * य० प्रा० जन स्मार्क पृ० १८७ ' '

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