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को लूटते-खसोटते बड़े ताव से बढ़े चले श्रा रहे हैं, तो यह चुप न बैठ सके। उनकी नसों में रक्त उबल उठा ! जो कुछ सेना थी, उसे घटोर कर वह निकल पड़े हिन्दुओं की मान रक्षा के लिये । हाथली गाँव में मुसलमान सेनापति सैयद सालार से उनकी मुठभेडे हुई। बड़ा घमसान युद्ध हुआ और विजय श्री सुहध्वज के गले पडी ! मुसलमान अपना सा मुँह लेकर भाग गये !
हिन्दुओं की लाज रह गई, जैनवीर सुहृद्ध्वज के बाहुबल से । लोग बडे प्रसन्न हुये । किन्तु अभाग्य से सुहृध्वज अपने शील धर्म को गंवाने के कारण राज्य से भी हाथ धो बैठे। कुछ भी हो, उनका नाम तो भी एक 'हिन्दू-रक्षक' के नाते श्रमर है !
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चन्देले - जैनी - वीर ।
श्राला और ऊदल के नाम से हिन्दुओं का बच्चा-बच्चा परिचित है । चन्देले- वंश इन्हीं से गौरवान्वित है । सौभाग्यवशात् इस चन्देले वीर-कुल से जैनधर्म का सम्पर्क रहा है । चन्देरी में चन्देलों के राजमहल के निकट श्राज भी अनेक जैनमूर्तियां देखने को मिलती हैं। सन् १००० में यह राजवंश उन्नति की शिखर पर था। इस वंश में सब से प्रसिद्ध राजा