Book Title: Jain Tattva Kalika
Author(s): Amarmuni
Publisher: Aatm Gyanpith

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Page 593
________________ गृहस्थधर्म-स्वरूप | २६५ धूपविहि-धूप आदि से कमरे, वस्त्र आदि को सुवासित करने की मर्यादा करना, (१२) पेज्जविहि-नाश्ते के लिए पेय पदार्थ की मर्यादा करना, (१३) भवखणविहि-रोटी आदि खाने की वस्तुओं की मर्यादा करना, (१४) ओदणविहि-चावलों की मर्यादा करना, (१५) सूपविहि - दालों की मर्यादा करना, (१६) विगविहि-घी, दूध, दही, तेल, गुड़, चीनी आदि (या इनसे बनी चीजों) विगइयों की मर्यादा करना । (१७) सागविहि-साग-भाजी आदि की मर्यादा करना, (१८) महुरविहि-मधुर पके हुए फलों की मर्यादा करना, (१६) जेमणविहि-भोज्य पदार्थों की मर्यादा करना, (२०) पाणीविहि-पीने के पानी की मर्यादा करना, (२१) मुखवासविहि- लोंग, सुपारी, ताम्बूल आदि मुखवास की मर्यादा करना, (२२) वाहणविहि-वाहन (सवारी) की मर्यादा करना, (२३) उवाणहविहि-पैर में पहनने के चप्पल, जूते, मौजे आदि की मर्यादा करना, (२४) मयणविहि-शय्या, आसन, पाट, खाट आदि शयनीय पदार्थों की मर्यादा करना, (२५) सचित्तविहि-सचित्त वस्तुओं की मर्यादा करना, (२६) दम्वविहि-प्रतिदिन खाद्यद्रव्यों की गणना करना । . इन २६ बोलों की मर्यादा यावज्जीवन के लिए होती है। ... चौदह नियम-दैनन्दिन मर्यादाओं के लिए आचार्यों ने प्रतिदिन १४ नियमों का चिन्तनपूर्वक स्वीकार बताया है-(१) सचित्त-पृथ्वीकायादि सचित्त वस्तुओं के सेवन की दैनिक मर्यादा, (२) द्रव्य-खाद्य द्रव्यों की संख्या का निश्चय करना, (३) विकृतिक-घी, दूध, दही, तेल, गुड़, चीनी आदि ५ विगइयों में से अमुक का या सबका त्याग करना या मर्यादा करना, (४) उपानहनियम-आज के दिन पैर में पहनने के चप्पल, जूते आदि का त्याग करना या मर्यादा करना, (५) ताम्बूलपरिमाण - मुखवास के योग्य पदार्थों का त्याग या परिमाण करना, (६) वस्त्रमर्यादा-पहनने के वस्त्रों की दैनिक मर्यादा करना, (७) कुसुमविधि-पुष्प, तैल, इत्र आदि सुगन्धित पदार्थों की दैनिक त्याग या मर्यादा करना, (८) वाहनमर्यादा-अमुक-असुक वाहनों के उपयोग का त्याग या नियम करना (8) शयन नियम-खाट, पाट, कुर्सी, शय्या आदि शयनीय पदार्थों का त्याग या परिमाण करना. (१०) विलेपननियम-अंग पर विलेप्य वस्तुओं का त्याग या परिमाण करना, (११) ब्रह्मचर्य नियम-ब्रह्मचर्य का नियम लेना अथवा दिन को मैथुनकर्म का सर्वथा त्याग करना, रात्रि को भी ब्रह्मचर्य की मर्यादा करना, (१२) दिशापरिमाण-छहों दिशाओं में गमन का त्याग या परिमाण करना, (१३) स्नाननियम-स्नान का त्याग या परिमाण निश्चित करना, (१४) भक्तनियम-आहार-पानी तथा अन्य खाद्यपदार्थों के वजन का परिमाण करना।

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