Book Title: Jain Tattva Kalika
Author(s): Amarmuni
Publisher: Aatm Gyanpith

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Page 639
________________ परिशिष्ट १1३०७ जीव परिणाम २४४,२४५ . .. दर्शनावरणीय कर्मवन्ध के कारण १६६ जीवास्तिकाय २१०,२२०,२२८ ... दलिक कर्म १६१ जीविताशंस प्रयोग २७३ . दशवैकालिक ५४,६३,६४ :: . ज्योतिष्क देवलोक १३२ . . दशाश्रुतस्कन्ध ६३,६४ .... . सशरीर नोआगम द्रव्य निक्षेप २८६ दसविध धर्म १ . ज्ञान नय २८२,२८३ दानान्तराय १७३ ज्ञानावरणीय कर्म १६३,१६४,१६७,१६८ दिक्परिमाण व्रत २६२ .. .. १७३,१८५,१६६, द्विपद-चतुष्पद प्रमाणातिक्रम २६१ ज्ञानावरणीय कर्म बन्ध के कारण १६८ दुष्पक्वाहार २६७ .... ज्ञानोपयोग १७३ देवकुरु १३१ . तत्प्रतिरूपक व्यवहार २५८ .... . देवायुष्य बंध के कारण १७१ तत्त्व ७१,७२,७३, ७४,७६,७७, ७८-७६ देशविरति २१,२७ तत्त्वरूपवती धारण देशावकाशिक व्रत २६८,२६६,२७० तत्त्वार्थसूत्र १६२,१८६ देह परिमाण (जीव का लक्षण) ८६,८७ तव्यतिरिक्त नोआगम द्रव्य निक्षेप २८६ दैववाद (भाग्यवाद) १४६ २६० द्रव्य आवश्यक २८६ तदाकार (सद्भाव) निक्षेप २८८ द्रव्य कर्म १५८ तनुवात २२४ द्रव्यत्व २३७ तप १८३ द्रव्यनिक्षेप २८६, तकं ५४,२७७,२७८ द्रव्य परिग्रह २६० तस्कर प्रयोग २५७ द्रव्य प्राण ८३ तिर्यक दिशापरिमाणातिक्रम २६३ द्रव्य लोक १२५ तिर्यक प्रचय २०५ द्रव्य शुद्धि २६८ तिर्यंचायुष्य बन्ध के कारण १७१ द्रव्य श्रु त ५७ तीर्थकर १८७ द्रव्याथिकनय २८२ तुच्छौषधिभक्षण २६७ धन-धान्य प्रमाणातिक्रम २६१ तैत्तिरीय उपनिषद ११७ धर्मध्यान १८३, १८४, १६० त्रस १० धर्म १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९, १०, त्रसवध निष्यन्न २६४ ११, १२, १३, १४, १५, १६, १७, ३१ दर्शन ५४ ५३, ५४ दर्शनमोह २४८,२४६ धर्मद्रव्य २०३, २१२, २१३, २१४, २१५ दर्शन मोहनीय १६७ दर्शन मोह क्षपक २६० धर्मास्तिकाय ६१, १२६, १२८, २०५, दर्शनावरणीय १६३,१६४, १६७, १७३, २०६, २०७, २०८, २१४, २१५, २१७, १८५,१६६ २२१, २३०

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