Book Title: Jain Tattva Kalika
Author(s): Amarmuni
Publisher: Aatm Gyanpith

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Page 633
________________ वसुदेव ७५ वाक् समाहरणता २३८ वाचना संपदा १८१,१८३ वाणी अतिशय (पैंतीस ) १८ वात्सल्य १५१,१५३ वासुपूज्य ६२, ६३ विनय १४६, १५० विनय तप १५७, १६३ विनय प्रतिपत्ति शिक्षा १८६ विनय सम्पन्नता ३६ विपाकसूत्र २०२, २०४, २०६ विमलनाथ ६३ बिरस आहार १६० विरागता २३६ विवाह पद्धति ७४ विविक्त शय्यासन प्रतिसंलीनता तप १६१ विवेकार्ह १६२ वीर्याचार १३०, १४८, १६६ विक्षेपणा विनय १९२ वृष्णिदशा २०६ वेदना समाध्यासना २४१, २४५ वेदनीय (कर्म) ८ वैयावृत्य ४३, ४४, १५७, १६४ व्यवहार नय १७८ व्याख्याप्रज्ञप्ति २०२, २०३ व्युत्सर्ग. तप १५७, १६६ व्यत्सगर्ह १६२ शक्रस्तव ८६ शब्दनय १७८ शरीर व्युत्सर्ग १६६ शरीर सम्पदा १८१, १८२ शान्तिनाथ ६४ शालिभद्र ८६ शास्त्रवार्ता समुच्चय ११७ शिष्य की विनय प्रतिपत्ति १६४ शिक्षाव्रत ८६ शीतलनाथ ६१-६२ शुक्लध्यान १६५ शुद्ध आत्मा (स्वरूप) ६० श्रमण ७४, २१६. श्रमणधर्म ७४ श्रमणोपासक १२६ श्रावक पद ८५ श्रावक-श्राविका १२६ परिशिष्ट १ | ३०१ श्रीकृष्ण ७५, ७६, ७७ श्रुतधर्मं ८५ श्रुतभक्ति ४७ श्रुतविनय १९१ श्रुत सम्पदा १८१-१८२ श्रेणिक ( विम्बसार ) ८६, २०५, २०६ श्रेणीतप १५८ श्रेयांस (राजा) ७५ श्रेयांसनाथ ६२ षडावश्यक २२५ सत्य महाव्रत १४३ सप्रतिक्रमण पंचमहाव्रत धर्म ८६ समन्तभद्र २७ समभिरूढ़ नय १७८ समवायांग १३, २०२, २०३, २०५, समिति १३१, १६७ समुद्घात २०५ समुद्र विजय ७५ सम्भवनाथ ५६ सम्यक्त्व २ सराकजाति ८१ सहायता विनय १६५ सर्व अदत्तादान विरमण ७६, १४४, २२२ सर्वपरिग्रहविरमण व्रत १४७, १४८, २२२

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