Book Title: Jain Tattva Kalika
Author(s): Amarmuni
Publisher: Aatm Gyanpith
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धर्मास्तिकाय २ ध्याता ११०
ध्यान तप १५७, १६५
ध्येय ११०
नमिनाथ ६६ नय १८७
नाभि ( कुलकर) ७३ नाम (कर्म) ८६
निदान ( नियाणा ) ४२ निरयावलिका २०५, २०६ निर्ग्रन्थ २१६, २१७, २१८, २१६
निर्जरा १२८ निर्जरानुप्रेक्षा २३५, २३६ निविकृतिक तप १५६ निर्विचिकित्सा १५१, १५२
निःशंकित १५१, १५२ निष्कांक्षित १५१, १५२
परमात्मा १०६
परिक्रम २०४
परिग्रह ७६
परिष्ठापनिका समिति १५५
परिहारविशुद्धि चारित्र २३६, २४०
परीषह २३, २४, २४१-२४५ पारांचित १६२
पार्श्वनाथ ६६, ७८-८१, २०३, २०५ पार्श्वपित्यिक स्थविर ८०
परिशिष्ट १ | २६ε
पुलाक निर्ग्रन्थ २१८ पुरुषार्थ प्रधान मार्ग ८५ पुष्पचूलिका सूत्र २०६ पुष्पिका सूत्र २०६
पूजातिशय ७
पूर्व ( चौदह ) २०४
पंच कल्याणक, ५४, ५५-५७ पंचाचार १२६, १३०
पंचेन्द्रिय निग्रह २२३ प्रणीत रस परित्याग १६०
प्रतर तप १५८
प्रतिक्रमणार्ह १६२
प्रतिलेखन २२६
प्रतिसंलीनता तप १५७,१६१
निक्षेप १८७
प्रज्ञापना २०५
नैगमनय ८८, १७८ नंदीवर्द्धन ५३
प्राण (दस) १४१
पद्मप्रभ ६०
प्रान्त आहार १६०
परमात्मवाद ११४, ११५, ११६, ११७ प्रायश्चित्त तप १५७, १६१,१६२,
बकुश निर्ग्रन्थ २१८
बहिरात्मा १०६
प्रत्याख्यानावरण १४० प्रदेशी राजा २०५
प्रभावना १५१, १५३
प्रभावना (आठ प्रकार की ) २०७
प्रमाण १८७
प्रयोगमति सम्पदा १८६
प्रवचनसारोद्धार २१६
प्रश्नव्याकरणांग २०६
बहुमान १४६, १५०
बीस स्थानक ३४-४८ बुद्ध ( तथागत) ७५,८२ बोधिदुर्लभत्वानुप्रेक्षा २३५ बोधिलाभ ११६
ब्रह्मचर्य गुप्ति १३१,१३३
ब्रह्मचर्य महाब्रत १४६,१४७
ब्रह्मचर्य महाव्रत की पाँच भावनाएँ १४६
भक्तपान व्युत्सर्ग १६६
भक्तामर स्तोत्र २६
भगवती सूत्र २०५
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