Book Title: Jain Tattva Kalika
Author(s): Amarmuni
Publisher: Aatm Gyanpith
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२६८ | परिशिष्ट १ चारित्राचार १३०,१४८
तीर्थकर (विशेषताएँ) ४६-५७ चित्त समाधि ३८
तीर्थंकर नाम गोत्र कर्म १६, ३६, ३७, चूलिका २०४
३८, ४७. चेटक ८६,२०५
तुच्छ आहार १६० छद्मस्थ ११५;
तेजस शरीर ६१ छेद सूत्र (चार) २०६
त्याग ८४, ८५ छेदाह १६२
दण्डनीति ७३ छेदोपस्थापनीय चारित्र २३६, २४० दर्शन १ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति २०५
दर्शनविनय ४०, १६३ जयन्ती (श्राविका) ८६
दर्शनविशुद्धि ३८ जिन १८, १९, २०, २७
दर्शनसम्पन्नता २६६ जीवाभिगम २०५
दर्शनाचार १३०, १४८ १५१ ज्ञाताधर्मकथांग २०२, २०३, २०५ दर्शनावरणीय कर्म ८६ ज्ञान, १
दशवकालिक सूत्र ४२, १३६ ज्ञानदान ४३
दसविध समाचारी २३२ . ज्ञानविनय ४०, १६३
दानधर्म ७४ ज्ञान-समाधि ४७
दिव्यध्वनि ७, ज्ञान सम्पन्नता २३८
दृष्टिराग ३३ ज्ञानाचार १३०, १४८ १४६
दृष्टिवाद २०२, २०४ ज्ञानातिशय ७, ८, ९
देव-अदत्त १४४ ज्ञानावरणीय ८६, ६४
देव तत्त्व १०४ तप १,८४, ८५
देवानन्दा ८६ तपसार्ह १६२
देवाभिगम (स्तोत्र) २७ तपःसमाचारिता विनय १६०
दोषनिर्घातना विनय १६३ तपःसमाधि ४२
द्रव्य ऊनोदरी १५८ तपाचार १३०, १४८
द्रव्यव्युत्सर्ग १६६ तीर्थ २१
द्रव्यसमाधि ४४ तीर्थकर १७, १८, २७, ३४, ३७, ४८, धन्ना ८६
५८, ७७,८४,८७,६६,११६, १२२, धर्म (दस श्रमण धर्म) २४६-२५६ १२३, १३०
धर्मध्यान १६५ तीर्थंकर (परम्परा) ७०
धर्मनाथ ६३,६४ तीर्थंकर (भविष्य कालीन) ६८,६६ धर्मदेव १२३, १२४, १२५, १२६, २६३, तीर्थकर (भूत कालीन) ६७ तीर्थंकर (विहरमात) ७०
धर्मसंघ २, ३६ तीर्थकर (स्वरूप) २.१.२६
धर्मस्वाख्याततत्त्वानुप्रेक्षा २३६
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