Book Title: Jain Tattva Darshan Part 04
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 19
________________ जैन तत्त्व दर्शन (2) चंदन पूजा चंदन पूजा का रहस्य इस पूजा द्वारा हमारी आत्मा चंदन जैसी शांत और शीतल बने। शीतल गुण जेमा रह्यो, शीतल प्रभु मुख रंग, आत्म शीतल करवा भणी, पूजो अरिहा अंग || ॐ ह्रीं श्रीं परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म-जरा-मृत्यु-निवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय चंदनं यजामहे स्वाहा । भावना हे प्रभु! विश्व के सर्वशीतल पदार्थों में सर्वश्रेष्ठ है चंदन | और समस्त गुणों में सर्वश्रेष्ठ है समता | तेरी इस चंदन पूजा द्वारा मुझे मेरी आत्मा को शीतल बनाना है। चंदन सबसे अधिक शीतल है और मैं अधिक संतप्त।समता सर्वोत्कृष्टगुण है और सर्वोत्कृष्टसमता का स्वामी तू है। हे प्रभु ! मन की अस्वस्थता, तन की पीड और धन की चिंता इस त्रिविध अग्नि से दग्ध मेरी आत्मा को ठंडक प्रदान कर! विषय सुखों की मेरी अग्नि को बुझा दे! कषायों से दहकते मेरे हृदय को शांत बनादे! मुझे श्रद्धा है कि मेरी यह चंदन पूजा, जो संपूर्ण जगत को शांत, प्रशांत और उपशान्त करने में समर्थ है। मुझे भी अवश्य शांत बनायेगी। हृदय में शांत एवं प्रशांत बनने का एकमात्र उपाय चंदन पूजा ही तो है।

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