Book Title: Jain Tattva Darshan Part 04
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 56
________________ जैन तत्त्व दर्शन 5. ध्यान : मन में बुरे विचार नहीं करना । किसी का बुरा करने की या झगड़े आदि की बात नहीं सोचना । क्योंकि जब तक हम बुरे विचारों को छोडेंगे नहीं तब तक धर्म नहीं कर पाएँगे । इसलिए हमेशा अपने दुःख, चिंता को छोड़कर सबके कल्याण की अच्छी बात सोचना | 6. उत्सर्ग (काउस्सग्ग - कायोत्सर्ग) : लोगस्स नवकार आदि का काउस्सग्ग करने से ज्ञानावरणीय आदि कर्मों का नाश होता है। त्याग, यानि जिन कार्यों से हमारे कर्म बंधन होते हो या पाप लगता हो उनका त्याग करना या मन, वचन एवं काया की एकाग्रता - स्थिरता, जैसे कि गुस्सा नहीं करना, किसी भी चीज के लिए झगड़ा नहीं करना, झूठ नहीं बोलना आदि । बाह्य तप से भी अभ्यंतर तप का फल कई गुणा ज्यादा है। और ये तप तो हर कोई आसानी से कर भी सकता है, क्योंकि तप को करने से कर्मों का नाश होता है। इसलिए रोज संकल्प के साथ कोई न कोई तप (यथाशक्ति) करने की कोशिश करनी चाहिए । D. अन हेप्पी बर्थ डे टु यू प्यारे बच्चों ! जब आपका जन्म दिन (Birthday) आता है, तब उस दिन आप क्या करते हो ? उसे किस प्रकार मनाते हो ? रात्रि में केक काटकर, केक खाकर, आईस्क्रीम, केडबरी खाकर, कोल्ड ड्रिंक्स पीकर, डिस्को डांस करके, गुब्बारे फोड कर ? नहीं ! नहीं ! इस प्रकार नहीं मनाना चाहिए, यह अपनी भारतीय संस्कृति नहीं है । यह गोरे (अंग्रेज) लोगों की संस्कृति है । भारतीय संस्कृति के अनुसार किसी भी कार्यक्रम के प्रारंभ में अज्ञानता रुपी अंधकार के निवारण हेतु दीपक प्रज्वलित किया जाता है, परंतु इस पश्चिमी संस्कृति (गोरे लोगों की) के अनुसार बर्थ डे में जलती हुई मोमबत्ती ( कैंडल) को बुझाया जाता है । हैन उल्टी संस्कृति ? फिर बच्चों में ज्ञान का दीपक कहाँ से प्रज्वलित होगा ? साथ ही आपकी बर्थ डे पार्टी प्रायः रात्रि में आयोजित होती है, जिससे रात्रिभोजन का भयंकर दोष लगता है । M 54

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