Book Title: Jain Tattva Darshan Part 04
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

View full book text
Previous | Next

Page 61
________________ जैन तत्त्व दर्शन गयी! उसे वह मिलना चाहता था, परन्तु कोई मार्ग सूझा नहीं। वह समझता था कि हम कठिनाई में होते है तब शक्तिमान सहायक बनकर आ जाता है- बचा लेता है। अत: शक्ति मान को अपने पास बुलाने के लिये उसने स्वयं को कठिनाई में झोंक दिया | अपने शरीर पर केरोसिन छाँटा और आग लगा दी। प्रतीक्षा में खडा रहा कि शक्तिमान अभी आकर मुझे बचा लेगा, परन्तु वह नहीं आया । लक्की खडा-खडा जलता रहा। चार दिन तक पीडित अवस्था में हॉस्पिटल में शक्तिमान की रट लगाते-लगाते वह मर गया । इस प्रकार टी.वी. से बाल मानस पर कुप्रभाव होता है। यह एक ही घटना नहीं है, बल्कि ऐसे तो अनेक बालकों ने अपने प्राण खोए हैं। शिक्षन की दृष्टि से :- पढाई से बालकों का मन सर्वथा उठ जाता है, क्योंकि उनका मन सतत पिक्चर के एक्टरों में, उनकी अदाओं में, फेशनों के विचारों में सतत खोया हुआ रहता है। अत: होमवर्क भी पूरा नहीं कर पाते। एक सर्वे के अनुसार टी.वी. देखने के पीछे एक बालक वर्ष में 1200 घंटों का समय बिगाडता है, जबकि पढने में उसके 100 घंटे व्यतीत होते है। विश्व विख्यात पेग विन नामक कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया तथा अन्य प्रदेशों में शिक्षकों, मानसशास्त्रियों और अनेक माता-पिताओं की पूछताछ मुलाकातें करने के बाद एक पुस्तक प्रकाशित की है, जो बालकों पर टी.वी. द्वारा क्या प्रभाव होता है ? इसके विषय में बहुत जानकारी देती है। उसमें स्पष्ट बताया गया है, कि बालकों की आँखे, ग्रंथियों, नसों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बालक पर्याप्त नींद न कर पाने से ज्ञान क्रांथियों तथा संपूर्ण मस्तिष्क का संतुलन धीरे धीरे बिगडता है। उसके कारण बुरे स्वप्न __ आना, भूख-प्यास न लगना, भोजन का न पचना, कब्ज आदिकुप्रभाव होते है। टी.वी. में मस्त बच्चे भोजन करने में भी पूर्ण ध्यान नहीं देते, नींद भी पूर्णत: नहीं करते और सारे दिन उसके आगे बैठने से शरीर पर बुरा प्रभाव पडता है, उनकी निर्दोष कल्पना शक्ति समाप्त हो जाती है। 59

Loading...

Page Navigation
1 ... 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76