Book Title: Jain Tattva Darshan Part 04
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 38
________________ जैन तत्त्व दर्शन 3. मन्दिर में भगवान के दर्शन करने जाना | वहाँ प्रभु के गुणों को और उपकारों को याद करें। उपाश्रय जाकर गुरु महाराज को नमन करें। सुखशाता पूछनी । भात-पानी का लाभ देने की विनंती करनी, निश्चय किया हुआ पच्चक्खाण करना। सूर्योदय से 48 मिनट पश्चात् नवकारशी का पच्चक्खाण पार सकते हैं। 1/4 दिन गुजरने पर पोरिसी, 1/4 + 1/8 दिन जाये तब साढ पोरिसी, 1/2 दिन जाए तब पुरिमुड्डपच्चक्खाण पारसकते हैं। नवकारशी से नरकगति लायक 100 वर्ष के पापटूटते हैं। पोरिसी से 1000 वर्ष के, साढपोरिसी से दस हजार वर्ष के, पुरिमुड से लाख वर्ष के पाप टूटते हैं। 4. स्नान करके स्वच्छ अलग कपड़े पहनकर हमेशा भगवान की पूजा करें। पूजा (भक्ति) किये बिना भोजन नहीं किया जाता। पूजा के लिये हो सके तो पूजन की सामग्री (दूध, चन्दन, केसर, धूप, फूल, दीपक, बरक, आंगी की अन्य सामग्री, चावल,फल, नेवैद्य आदि) घरसे ले जानी चाहिये। 36

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