Book Title: Jain Shasan ka Dhvaj Author(s): Jaykishan Prasad Khandelwal Publisher: Veer Nirvan Bharti Merath View full book textPage 6
________________ लाल एवं तकनीत होने के कारण पर वो का ( लाल विवाहबार उसने मन में स्वस्तिक इसलिए रसाया है कमका प्रवीकहाचतुति संसार में परिचमनका कारण है। उससे अमर बजार बन्द कोहलपाबहिला को वापरल में उतारकर ही हम निर्वाचको पार कर सकते है। ताम्बर मुनिश्री गोपियनी, साहवासप्रसाद, साहशान्तिप्रसाद तवा की मेवीपरन, दिल्ली नवनीर स्वस्तिक चिन्ह संबंधी सवा बन्द सुनावों को हमनेवास्थान स्वीकार किया है। प्रातःस्मरणीय भगवान महावीर के साईहजाखें निर्वाणोत्सव के अवसर पर यह नपुस्तिका में समस्त भावों के करकमलों में समर्पित करता हूं।Page Navigation
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