Book Title: Jain Shasan ka Dhvaj
Author(s): Jaykishan Prasad Khandelwal
Publisher: Veer Nirvan Bharti Merath

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Page 15
________________ 'विजया पंचवर्णाभा पंचवर्णमिदं ध्वजं ।" जैन-शामन का ध्वज पांच रंगों वाला होता है। इसमें क्रमशः ममान अनुपात में अरुणाभ, पीताभ, श्वेताभ, हरिताभ और गहरा नीलाभ रंग आड़ी पट्टियों के रूप में रहना है। श्वेत पट्टी पर वीचों-बीच स्वस्तिक चिह्न स्वणिम रंग में अंकित होता है। म्वम्निक का न्यास श्वेत पट्टी की चौड़ाई जितना होता है। इसलिए यह पट्टी अन्य रंगों की पट्टी से अधिक चौड़ी होती है। पंचरंग पांचों परमेष्ठी स्थापत्य एवं मूर्तिकला के मुप्रसिद्ध ग्रन्थ 'मानसार' (५वीं शती में रवित) में पांचों परमेष्ठियों की प्रतिमाओं के पञ्चवर्णों का निरूपण किया गया है स्फटिक श्वेतरक्तं च पोतरपामनिमंतषा। एतत्पंचपरमेष्ठि पंचवर्ग यथाक्रमम् ॥-अध्याय ५५ (पांचों परमेप्टियों की पांच प्रतिमाएं यथाक्रम में इन वर्गों की होती हैं-१-स्फटिक (धवल),२-अरुणाभ, ३-पीताभ, 6-हरिताभ, ५-नीलाम।) ध्वजारोहण-विधि प्रतिष्ठापाठ में ध्वजारोहण की विधि का निरूपण करते हुए ध्वज के महात्म्य का वर्णन इम प्रकार किया गया है 'कलशाहन्छिते हस्तं ध्बजे नीरोगता भवेत् । विहस्तमुन्छिते तस्मात्पुर्जाियते परा ॥ विहस्तं तस्य सम्पत्ति पवृद्धिावतः करम् । पञ्चहस्तं सुमिमं स्याद् राष्ट्रविरच जायते ॥ अम्बरेण कृतो पास्याद् मनः सम्यक् समन्ततः । सोति लम्मीदो राज्ये यशकीतिप्रतापरः।। भूपाला बालगोपाल, ललनानां समृद्धिहत् । रामां मुबापायी - धान्यावर्यजयावहः ॥' -आचार्यकल बागाधर, प्रतिष्ठापाठ ५.१.४-७६ Aमन्दिर के शिखर-कलणों मे एक हाथ ऊंची ध्वजा आरोग्यता प्रदान करती है, दो हाप ऊंची मुपुवादि सम्पत्ति को, तीन हाथ ऊंची धान्य सम्पत्ति को, चार हाप ऊंची बाचार्य नेमिषन : प्रतिष्ठानिमक, १०

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