Book Title: Jain Shasan ka Dhvaj
Author(s): Jaykishan Prasad Khandelwal
Publisher: Veer Nirvan Bharti Merath

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Page 18
________________ . .:. . .. 13 TA Pr'T 109 M. HARE यह शिलांकित प्राचीनतम उपलब्ध स्वस्तिक प्रथम शताब्दी का है। यह मधुरा के पुरातत्व संग्रहालय में स्थित तीर्षकर पानाव की मूर्ति पर बने हुए सात सर्प-फनों में से एक पर मंकित है। (पुरातत्व संग्रहालय, मधुरा के सौजन्य से प्राप्त) १४

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