Book Title: Jain Shasan 2008 2009 Book 21 Ank 01 to 48
Author(s): Premchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
Publisher: Mahavir Shasan Prkashan Mandir
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ખેમો દેદરાણી
१०८ धर्मशान शासन (अ64158) विशेषis .
.४-११-२००८, मंगलवार
वर्ष-२१ .is
आधी तरततेोषोत्या: 'मारे भासनताने अना पूर पाऽवा भाटे तथा पशुओने पूरतो थारो भणी रहे से भाटे मे तेटतुं हुंमेलो आधीश. अधा पासे हाथ लाववानी १३२ नथी. आ डाभ भाटे तभारे हवे आगण भवानी १३ नथी. आप निश्यितजलोसने आरामरो.' '
आ शण्टो साभणीने प्रतिनिधिभंडण तो नवाछना सागरभांगरहाव थछगयु.भाशाहनो पोषासने रहेवानी पद्धति सेटलीमधीसाही हती हे तेभनी पासे अढण5 संपत्ति होय सेवी उपना पाश न थाच. तेभना भों पर आश्यर्थना भावो स्पष्ट जाता हता. भाशाह आजाये प्रतिनिधिभाणने पोताना धनभंडार पासे लछ गया. तेभना धनभंडारभां भष्मल प्रभाशमां सोनुं अने अगशित सुवाभिहोरो हती. प्रतिनिधिभंडण तोआमुंजनीने कोतुंभ रघु,तुंभ रघु.
अधा शाहोमे भाशाह अने तेभना पिताश्रीनी घानवृत्ति भाटे जूज भूष आभारनी लागाशी व्यस्त हरतां : 'भाशाह! तभने धन्य छ. तमे तो जरेजर शाहोनी मा३अयावी लीधी, तभे तो शाहोर्नु नाम लवण री टीधुं. युगो सुधी छतिहासतभारीआGधारताने याउरतो रहेशे.'
मेला भाशाहनी संपत्ति सने हानना पुश्यप्रतापेगुष्परात आणुये महाभीषशष्ठाणना ओणाभांथी गरी गयु. भहंभ मेगडाले हेरभां भाशाहनुं सन्मान पुरवा सेठ सभारंभ योग्यो सने युं : 'शहेनशाहना शहेनशाह पाया शाहो छे. पाहशाह तेभनी आगण शी विसातभा नथी. तेभनी निःस्वार्थ हानवृत्तिने हुं भारा हघ्यथी सलामी आधु छु अने तेभy Greवण भविष्य छछुछु.'
प.पू. आ. श्री विश्य अभृत सूरीश्वरम.सा. ना पट्टधर पू. आ. श्री विजय मिनेन्द्र सूरीश्वर महारानी પ્રેરણ્યથી જૈન શાસન ૧૦૮ ઘર્મકથા વિશેષાંક ને હાર્દિક શુભેચ્છા
359 સાર્મીક
'હસ્તે શ્રી કાલીદાસ હંસરાજ નગરીયા પરિવાર
44/54 - Rajaji nagar Industrial Town, 3rd Main Road
BANGALORE - 560044
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