Book Title: Jain_Satyaprakash 1947 07
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४ १० ] શ્રી કેશ્ર્વરીયાજી તીર્થં [ ૨૫ मेवाड़ धनवान राज्य नहीं है लेकिन विश्वविद्यालयके कार्य का अच्छे आधार पर प्रारम्भ कर देने के लिये हमने और हमारी सरकार ने उपलब्ध सभी साधनों को एकत्र कर प्रस्तुत किया है । हमारे राज्य ने विश्वविद्यालय को कम से कम ६८ लाख रुपयों की कीमतकीसंस्थाएं, मकानात, सम्पत्ति तथा दो लाख पचीस हजार रुपये की आरम्भिक वार्षिक सहायता देने का निश्चय किया है । " श्री देवस्थाननिधि " की अधिक आय प्रताप विश्वविद्यालय को प्राप्त होगी । विश्वविद्यालय कर (टेक्स ) जिसे लागू करने का हम निश्रय कर रहे हैं उससे भी आगामी १ अक्टुम्बर से प्रताप विश्वविद्यालय को प्रति वर्ष अच्छी आय हो जाया करेगी । [२] नये विधानके दूसरे भागके दूसरे नियमका हिन्दी भाषान्तर भाग दूसरा नियम दूसरा श्री परमेश्वरजी महाराज १ श्री परमेश्वरजा एकलिंगजी महाराज मेवाडके सर्वसत्ताधीश हैं और उनकी तरफसे उनके एकमात्र प्रतिनिधि के तौरपर श्रीजी, इस सर्वसत्ताधीशता के साथ सम्बद्ध और उसके नाते आनेवाले तमाम हक, अधिकार और हकुन्तका उपभोग करेंगे, सिवाय कि श्रीजीने अन्य प्रकार से प्रतिपादन किया हो या इस विधान द्वारा या इस विधान के जरिये अन्य और किसी प्रकार की व्यवस्था करने में आई हो । २. परिशिष्ट १ में दिये हुए सब मंदिर, देवस्थान और अन्य धार्मिक एवं धर्मादा संस्थायें जिनका समावेश देवस्थानमें होता है वे एवं जो इसके अनन्तर इसमें समाविष्ट होते माम हों वे और जो आयन्दा समर्पण के कारण इसमें समाविष्ट हो जाय वे और उनकी सभी सम्पत्ति और फंड यह सब इस ( विधान ) से देवस्थाननिधिको सुपुर्द करनेका ऐलान किया जाता है । इससे देवस्थान निधिको अपनी महोर ( Seal) वाली कानून संस्था बनाने में आता है । ३. देवस्थाननिधि उपर्युक्त सभी संस्थायें, मिलकत और फंडोंको निम्न कार्योंके वास्ते अपने कब्जे में रखेगा (अ) श्री परमेश्वरजी महाराज के मंदिरको ठीक तौरसे दुरुस्त रखनेके लिए और उनकी कानून पूजन विधि कराने के लिये; (ब) उपर्युक्त अन्य संस्थाओं को कायम रखने के लिये आवश्यक और योग्य सर्फ करनेके लिये और धार्मिक रस्मके मुताबिक उनकी पूजाविधि कराने के लिये, और (क) प्रताप विश्वविद्यालय के कार्यके लिये. (१) देवस्थान निधि निम्न सभ्योंका बनाया जायगा - श्रीजी..... .. सभापति । सिसोदिया वंशके राजाओं को छोड़कर भारतवर्ष के राजपूत राजाओंमेंसे दो राजा । भारतवर्ष सिसोदिया राजवंशमेंसे एक राजा । उदैपुर के उमरावोंने चुना हुआ एक उमराव । For Private And Personal Use Only

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