Book Title: Jain_Satyaprakash 1947 07
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
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४ १० ]
કેસરિયાજી તીથ
[248 बळगता अधिकारीओने मळीने, केसरियाजी तीर्थनुं देवद्रव्य विश्वविद्यालयमां वपरातुं अटके एवो ए धारामां फेरफार करावी शकाय खरो.
मेवाड राज्य आखु वुं बंधारण वांचतां, अने तेमांनो बीजो धारो खास देवस्थाननिधिने माटे ज जे रीते घडवामां आव्यो छे ते जोतां, उपरनी - विश्वविद्यालय बील संबंधी - कलमनो आश्रय लईने प्रयत्न करवामां आपणने विशेष किंवा निश्चित सफलता मळशे एम कही शकाय नहीं. छतां आ कलम प्रयत्न करवामां उपयोगी थई पडे एवी लागवाथी तेनो अ अ निर्देश कर्यो छे.
(२) बंधारणना दसमा भागनो २५ मो धारो, जेमां बंधारणमां फेरफार केवी रीते थई शके ते जणाववामां आव्युं छे.
अमने लागे छे के जो बंधारणीय मार्गे प्रयत्न करवो होय तो आ धारानो आश्रय लेवो अवश्य उपयोगी थई पडे. जो धारासभा ( एलटे के धारासभाना सभ्योनी बहुमती ) पोते ज बंधारणमां अमुक चोक्कस फेरफार करवा तैयार होय तो तेने तेम करतां कोई रोकी शके नहीं,
पण आवात समजवी जेटली सहेली छे एटली आचरवी सहेली नथी, आ माटे आपणे स्वस्थ अने स्थिर बुद्धि पूर्वक प्रयत्न करवानो रहेशे अने आवो प्रयत्न करवानो मुख्य भार मेवाड राज्यना जैन आगेवानोए उठाववानो रहेशे, केम के तेमना राज्यनी धारासभाना सभ्योना दिलमां आपणी दात ठसाववी अने तेमणे पहेलां बांधी लीघेल मतने फेरववो ए मा ते सभ्यो सानो अंगत परिचय होवो घणो जरूरी छे, जे परिचय मेवाड बहारना जैनोने होवानो घणो ओछो संभव छे. आनो अर्थ ए नथी के आम थाय एटले आ हिलचालनी बधीय जवाबदारी केवळ मेवाडना जैनो उपर ज आवी पडे अने मेवाड बहारना जैना बेफिकर अने निष्क्रिय बनी जाय; बहारना जैनोए तो दरेक प्रसंगे सहकार आपवो ज पडशे एमां जराय शंका नथी,
आ उपरांत बंधारणीय मार्ग जेवो अथवा तो परस्परनी समजूतिथी प्रश्ननो निकाल लाबवानो समाधानना मार्ग जेवो एक वधु मार्ग ते वगदार अने जवाबदार जैन आगेवामोनु प्रतिनिधिमंडल उदेपुर जईने खुद ना. महाराणा साहेबने मळे अने जैन संघनी वती बधी वस्तुस्थिति तेमने सचोट रीति समजावे अने थई गयेल निर्णयमां घटतो फेरफार करावीने जैन तीर्थानां देवद्रव्यनों आ रीते थतो उपयोग अटकाववानी खातरी मेळवे । ज्यारे खूद महाराणा साहेबना हाथे ज नवुं राज्यबंधारण घडाई चूक्युं छे त्यारे आ मार्ग केटलो उपयोगी थई पडशे ए विचारखा जेतुं तो छे ज, अमे तो मात्र सूचन रूपे ज आ बाबत अहीं रजू करी छे,
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