Book Title: Jain_Satyaprakash 1947 07
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
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आ 101 કેસરિયાજી તીર્થ
[ २८ पोताना आराध्य देव निमित्ते या ए देवने नामे समर्पण करवामां आवता द्रव्यना संबन्धमा जैनो केटला अलिस रहे छे, अने ए देवद्रव्यनो उपयोग ए देव निमित्तेना कार्याने छोडीने बीजो कोई पण कार्योमा भूलेचूके पण न थवा पामे ए माटे जैन शास्त्रोए केटली' कडक आज्ञाओ फरमावी छे अने ए आज्ञाओगें पालन करवामां जैनो सदा-सर्वदा केटला बधा जाग्रत रह्या छे अने रहे छे ए बीना सर्वने एटली बधी सुविदित छे के ए सम्बन्धमां, विशेष कहेवानी जरूर नथी.
___ अफसोस तो ए वातनो छे के केसरियाजी तीर्थना ट्रस्टी होवानो दावो करता उदेपुरना ना० महाराणा साहेबे, ट्रस्टना धाराधोरणनो भंग थाय ए रीते, अने जैन संघने साव अंधारामां राखीने तेमज कोई पण जैन आगेवानने जरा पण पूछया सिवाय ज, ए तीर्थनां नाणांनी उपयोग पोताने मनगमती रीते-प्रताप विश्वविद्यालयना कार्योमां-करवानो निर्णय को छ.। कोई एक विशिष्ट उद्देशथी भेगां थयेल नागांनो उपयोग बीजा गमे ते उच्च उद्देशवाळा कार्यमा पण न ज करी शकाय-ए ट्रस्टीपणानो पहेलो अने मुख्य नियम छे. उदेपुर राज्यना आ कार्यमां आ नियम वेगळो मुकायो छे एम सखेद लखवू पडे छे. __ आवा धर्मविरुद्धना पगला माटे, उदेपुर जेवा आर्य संस्कृतिना वारस गणाता राज्यने शुं कहेवू ? आ कार्यनो अने साथे साथे उदेपुर राज्यनो विचार करीए छीए त्यारे दृश्यमा अपार वेदना थाय छे अने " वाडे चीभडा गळ्या" जेवो कारमो प्रसंग बन्यानो ख्याल सहज रीते भावी जाय छे.
वळी विशेष नवाईनी बात तो ए छे के-उदेपुरना ना. महाराणा साहेबे १३ वर्ष उपर नीमेल ध्वजदंड कमिशने आजथी १२ वर्ष पहेला तैयार करीने उदेपुर राज्यने सोपेल अहेवालने राज्ये १२-१२ वर्षना-एक युग जेटला लांबा-समय सुधी खूब ज गुप्त राख्यो, भने ए वातने १२ वर्षनां वहाणां वाई गयां पछी आजे, ए आखो अहेवाल अक्षरशः प्रगट करीने नहीं पण, मात्र ए अहेवालनो आधार टॉकीने श्रीकेसरियाजीना ध्वजदंड संबंधमां न्यायथी वेगळु एवं एक जाहेरनामुं प्रगट कयु. जे अहेवालना आधारे उदेपुर राज्ये आवं जाहेरनामु बहार पाड्युं ते अहेवाल अक्षरशः जाणवानो दरेक पक्षनो अधिकार छे. संबंध धरावशा पक्षोनी जाण माटे पोतानी मेळे ज ए अहेवाल प्रगट करवानी उदेपुर राज्यनी प्रथम करज हती. ए फरज पोतानी मेळे अदा करवानी वात तो दूर रही, पण ए अहेवाल मेळववा माटे आगेवान जैनो अने जैन संस्थाओए करेल प्रयत्न आगळ हजु लगी राज्ये जरा पण मचक नथी भापी ए घणी ज दिलगीरीनी बीना छ, न मालूम ए मूळ अहेवालमां एवं शुभयु छे
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