Book Title: Jain_Satyaprakash 1947 07
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
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१० ]
શ્રી કેસરિયાજી તીર્થ
[२८५
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सम्पादकीय वक्तव्य उपर आपवामां आवेल (१) उदेपुरना महाराणा साहेबर्नु भाषण, (२) उदेपुर राज्यना नवा राज्यबंधारणमानो देवस्थाननिधि सम्बन्धी धारो अने (३) श्री केसरियाजी तीर्थ सम्बन्धी उदेपुर राज्यनी जाहेरात वाचतां नीचेना मुद्दाओ तेमाथी फलित थाय छे१ राज्यना देवस्थान विभाग ( Department) मां समाविष्ट थती बधी संस्थाओ, कुल सत्ता साथे, देवस्थाननिधिने सोपवामां आवी छ।
[नवा राज्यबन्धारणना परिशिष्ट १नो कलम 'अ'मा जे कुल ८५ संस्थाओ (एटले के मंदिरो)नी यादी आपवामां आवी छे तेमां ३२मी संस्था तरीके श्री केसरियाजी तीर्थ अने ६७मी संस्था तरीके छोटी सादडीना जैन मन्दिरनो समावेश
करवामां आव्यो छे.] २ देवस्थाननिधिने प्रताप विश्वविद्यालय साथे जोडी देवामां आवेल छे; ३ देवस्थाननिधिनी आवकनो वधारो प्रताप विश्वविद्यालयने आपवामा आवशे; ४ देवस्थाननिधिनां मिलकतो अने फंडोनो उपयोग देवस्थानोने साचववाना खर्च उपरांत,
प्रताप विश्वविद्यालयना कार्योमा करवामां आवशे; ५ देवस्थाननिधिना सभ्यो एज प्रताप विश्वविद्यालयना सभ्यो अने मुख्य वहीवटदारो रहेशे; ६ केसरियाजीनुं मंदिर मूळ दिगम्बरोनुं छे; ७ भीलो सहित हिन्दुओ केसरियाजी तीर्थनी घणा लांबा ( Immemorial)
समयथी पूजा करे छे; ८ बसो वर्षथी ए तीर्थ उपर उदेपुरना महाराणानो कुल अधिकार छे, अने धार्मिक
क्रियाओ माटेनी परवानगी पण तेओ ज आपता हता; ९ ध्वजदंड चडाववाना समये श्वेताम्बरीय अने दिगम्बरीय बन्ने सम्प्रदायनी विधिभो
करवामां आवती हती १० सौने पोतपोतानी विधि प्रमाणे पूजन करवानी जोगवाई करी आपवी ए देवस्थान
विभागनुं कार्य छे; ११ जीर्णोद्धार, प्रतिष्ठा के ध्वजदण्ड चडाववा माटे देवस्थाननिधिनी मंजूरी मेळवबी
जोईए; १२ ध्वजदंड चडाववानी क्रिया वखते देवस्थाननिधिए बधी जातिओने आमंत्रण आप, जोईए। १३ गमे ते जातिनो माणस बोली बोलवामां वधु पैसा आपीने ध्वजादंड चडावी शके; १४ बधी आवक ट्रस्ट याने देवस्थाननिधिने सोपवामां आवशे; अने १५ आ सम्बन्धी बधी बाबतोनो निर्णय करवानी सत्ता देवस्थाननिधिने रहेशे,
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