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जैन रनाकर तेल, सोडो, मसालो कपूर, कस्तूरी, रोली,
काजल, सुरमा वगैरह। ११ वंभ-ब्रह्मचर्यनो नियम करवो?--स्त्री पुरुषने सूई
डोरै के न्याय तथा बाह्य विनोदकी गणत्री धारची, श्रावक परदारा त्याग और स्वदारा से ही संतोष राखे, उसका भी प्रमाण करै,
अन्तराय देणी नहीं, संयोग मेलणो नहीं। १२ दिशि-पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, नीचं अने ऊंचुं
ए छः दिशाएं जावा आवाना कोसन प्रमाण धार, चिट्टी, तार, आदमी, माल, इतने कोस,
भेजना तथा मंगाना।' १३ न्हाण-सर्व अंगे नहावं तेहनी गणत्री तथा पाणीनो
: वजन धार । १४ भत्तसु-भोजन तथा पाणी वापरखु तेहना वजनन
प्रमाण करवं इतना घर उपरान्त जीमणो तथा पाणी पीणो नहीं।