Book Title: Jain Ratnakar
Author(s): Keshrichand J Sethia
Publisher: Keshrichand J Sethia

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Page 131
________________ जैन रत्नाकर १२१ ३६ भांग, गांजा, सुलफा आदि नशीली वस्तुओं का प्रयोग तो नहीं किया? ४० अपने विचारों से सहमत नहीं होने वालों से द्वेष तो नहीं किया ? ४१ जिह्वा की लोलुपता पर अधिक तो नहीं खाया पीया ? ४२ तास, चोपड़, केरम आदि खेलों में ही समय को तो बर्बाद नहीं किया ? ४३ आज समूचे दिनमें कौन-सी नई शिक्षा व गुण ग्रहण किया ? ४४ घरके या पड़ोस के व्यक्तियों से झगड़ा तो नहीं किया ? ४५ किसी अनैतिक व अप्रिय कामों में भाग तो नहीं लिया ? ४६ किसी के साथ व्यक्तिगत वा सामूहिक रूप से कोई षड़यन्त्र या पाखण्ड तो नहीं रचा, जो देश, समाज वा वर्ग की आशान्ति के साथ स्वयं के लिये आत्म ग्लानि का कार्य हो। लौकिक४७ फिजूल खर्ची तो नहीं की ? ४८ कन्या-विक्रय या वर-विक्रय तो नहीं किया या ऐसे कार्यों में भाग तो नहीं लिया? ४६ ब्लेक में कोई वस्तु खरीदी या वेची तो नहीं ? ५० किसी भी अशान्ति पूर्ण कार्यों में भाग तो नहीं लिया ? ५१ जुआ, सट्टा, फाटका आदि में प्रवृत्ति तो नहीं की या किसी को प्रेरणा तो नहीं दी?

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