Book Title: Jain Ratnakar
Author(s): Keshrichand J Sethia
Publisher: Keshrichand J Sethia

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Page 130
________________ १२० जैन रत्नाकर २७ बड़े बुड्ढों की अवहेलना या उनके साथ अविनय तो नहीं किया, अपने माता, पिता आदि पूज्य जनों के सम्मान में कोई अविनय तो नहीं किया ? २८ अविनय, भूल या अपराध हो जाने पर क्षमा याचना की या नहीं ? २६ वालक-बालिकाओं को कहना न मानने पर निर्दयता से पीटा ' तो नहीं ? ३० झूठ बोलकर अपना दोष छिपाने की कोशिश तो नहीं की ? ३१ स्वार्थ से या बिना स्वार्थ से किसी झूठी बात का प्रचार तो नहीं किया ? ३२ किसी को वस्तु चुराई तो नहीं ? ३३ पर-स्त्री को पाप-दृष्टि से तो नहीं देखा या पर पुरुषको पाप दृष्टि से तो नहीं देखा ? ३४ अप्राकृतिक मैथुन तो नहीं किया ? ३५ धन पाने के लिये कोई विश्वासघात आदि अमानवोचित ___ काम तो नहीं किया ? ३६ किसी के साथ कोई मानसिक, वाचिक व कायिक हिंसा तो नहीं की? ३७ आज मुझे क्रोध तो नहीं आया और आया तो क्यों, किस पर और कितनी बार ? ३८ किसी को ठगने या फसाने की कोशिश तो नहीं की ?

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