Book Title: Jain Ratnakar
Author(s): Keshrichand J Sethia
Publisher: Keshrichand J Sethia

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Page 128
________________ ११८ आध्यात्मिक १ प्रभात में आत्म चिन्तन समाइयक - साधना, सन्त-दर्शन व जैन रत्नाकर -- आध्यात्मिक भावना की या नहीं ? २ समाइयक साधना आदि में मन को स्थिर रखा या नहीं ? ३ धार्मिक स्वाध्याय और चिन्तन किया या नहीं ? ४ सन्ध्याकालीन प्रार्थना वन्दना व प्रवचन में सम्मिलित हुए या नहीं ? ५ प्रतिक्रमण करके अपने आवश्यक कर्त्तव्य का पालन किया या नहीं ? या नहीं ? नैतिक ६ धार्मिक चर्चा के समय वायुकाय की हिसा तो नहीं की ? ७ प्रतिक्रमण व प्रवचन आदि के समय बातें आदि करके विन तो नहीं डाला ? ८ श्रावक की दृष्टि से दैनिक चवदह नियमों का चिन्तन किया BURMARES ६ भौतिक सुखों से आसक्त होकर आत्मोन्नति के प्रमुख लक्ष्य को भूले तो नहीं ? १० स्व प्रशंसा और पर निन्दा से प्रसन्नता तो नहीं हुई और स्वनिन्दा व पर प्रशंसा से अप्रसन्नता तो नहीं हुई ? ११ अपने मुंहसे अपनी बड़ाई तो नहीं की ? १२ किसी का झूठा पक्ष लेकर विवाद तो नहीं फैलाया और किसी को अपमानित करने की कोशिश तो नहीं की ?

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