Book Title: Jain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra Author(s): Krushnalal Varma Publisher: Granth Bhandar View full book textPage 4
________________ လိုလိုသိပြီး जैनरत्न पंज (घ ) “လှောင်၌ वन्दे श्रीवीर मानन्दम् श्रीयुत कृश्नलाल वर्मा का "जैन रत्नप्रथम खंड " ग्रन्थ हमने देखा, जिसमें चतुर्विंशति (२४) तीर्थंकरों का चरित्र है. ऐसे लोकोपयोगी जैन साहित्य की आज के जमाने में अति आवश्य करता है जो किंचित् रूप में वर्माजी ने सफलता प्राप्त की है. इसग्रन्थ में अधिक भागविष्टिशलाका पुरुष चरित्र भगवान् श्री हेमचन्द्राचार्य विरचित के अनुसार है इसलिए इसकी प्रामाणिकता में शंका को अवकाशा नहीं है. श्रीवीर संवत् २४६२ श्री आत्मसंवत् ४० विक्रम संवत् १९९२ ई० सन १९३५ मार्गशीर्ष कृष्ना सप्तमी सूर्य वार तारीख १७ नवम्बर इतिशम् । द. वल्लभ विजय. आचार्य महाराज श्री विजयवल्लभ सूरिजिकी सम्मति ၁၆ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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