Book Title: Jain Ramayan
Author(s): Vishnuprasad Vaishnav
Publisher: Shanti Prakashan

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Page 165
________________ कथानक, महत्वपूर्ण नाटक. पात्रों की महान योजना. गरिमामय उदात्त शैली, तीव्र प्रतिभावान्विति, गंभीर रसयोजना, अनवरत जीवन शक्ति एवं सशक्त प्राणवत्ता हो।' भारतीय एवं पाश्चात्य महाकाव्य के लक्षणों का सार इस प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है किं- महाकाव्य में महान उद्देश्य, महती प्रेरणा, महान नायक, जीवन्त कथानक, उदात्त शैली, गंभीर रस व्यजना तथा संपूर्ण योजना सशक्त एवं प्राणवान होनी चाहिए। त्रिषष्टिशलाकापुरुचरित महाकाव्य तो है ही परंतु साथ ही यह चरितकाव्य भी है अतः हम चरितकाव्य के लक्षणों का संक्षिप्त विवेचन कर रहे हैं। (६) पौराणिक चरितकाव्य : पौराणिक काव्य, काव्य का एक भेद है जिसकी जानकारी हिन्दी साहित्य कोश में निम्न प्रकार से मिलती है "महाकाव्य मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं' - १. साहित्यिक परंपरा में विकसित २. लोकमहाकाव्य । अलंकृत महाकाव्य की मुख्यतः ये शौलियां हैं- शास्त्रीय, रोमांसिक, ऐतिहासिक, पौराणिक, तथा रूपक-कथात्मक, नाटकीय, प्रगीतात्मक, एवं मनोवैज्ञानिक। रामचरितमानस पौराणिक शैली का उदाहरण है। 367" पौराणिक शैली के महाकाव्यों की तरह पौराणिक शैली के चरितकाव्य भी माने गए हैं। शैली, उद्देश्य एवं विषयवस्तु की दृष्टि से चरितकाव्य को इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है शैलीगत वर्गीकरण : १. पौराणिक शैली के चरितकाव्य २. ऐतिहासिक शैली के चरितकाव्य-पृथ्वीराज विजय, हम्मीर महाकाव्य आदि। ३. रोमांसिक शैली के चरित काव्य-नवसाहसांक चरित, जसहरचरिउँ आदि। उद्देश्य व विषय वस्तु वर्गीकरण १. धार्मिक-पौराणिक २. प्रतीकात्मक ३. वीरगाथात्मक ४. प्रेमाख्यानक ५. प्रशस्तिमूलक ६. लोकगाथात्मक ___ "मानस" धार्मिक-पौराणिक चरितकाव्य का उदाहरण है। प्रबंध काव्य का ही एक रूप है चरितकाव्य। 368 हिन्दी साहित्य कोश के अनुसार चरित काव्य के निम्न लक्षण है१. इसकी शैली जीवन चरितात्मक होती है। नायक के जन्म से मृत्युपर्यन्त की कथा और उसके कई पूर्वभवों की कथा होती है। ये काव्य कथात्मक, कम प्रकृत्ति वर्णन युक्त, शास्त्रीय काव्यों की अपेक्षा स्वाभाविक सरल व लोकोन्मुख होने चाहिए। इसके प्रारंभिक वर्णन ऐतिहासिक होने चाहिए। 164

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