Book Title: Jain Ramayan
Author(s): Vishnuprasad Vaishnav
Publisher: Shanti Prakashan
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त्रिशपुच. पर्व ७, - २/४२-५४, ३/१८७-१९१, ६/१४५
१०/२४७-२४९ अनेक स्थल। १८. वही - ६/१४५-१४३ १९. त्रिशपुच. पर्व ७, - ७/४९-५१
त्रिशपुच. पर्व ७, - १०/२४७-२४९ २१. त्रि. प. पु. च. पर्व ७, - ९/१९३-२२५ २२. त्रिशपुच. पर्व ७, - ९/२११-२१२-२१५ २३. वही - ९ / २१८ - २२० २४. त्रिशपुच. पर्व ७, - १/४, ४०, ५९, २/११९-१२५. १७०.
५०७, ३५६, ८/१४९, १५२, ९/२३३, १०/१०४-१०५, १८६
१३५/ १३९, १७५-१८१ आदि। २५. त्रिशपुच. पर्व ७, - १०/१७३-१७५ २६. वही - १०/१०९- १११ २७. त्रिशपुच. पर्व ७, - ३/४३स २१२-२१३, ४/१८३-२०२ २८ २५६,
९/३५-३८, ४४-४५ आदि। २८. वही - ४/१९३-१९६ २९. त्रिशपुच. पर्व ७-९/३५-३८ ३०. त्रिशपुच. पर्व ७, १/३७-३८, २/२६५-२७८, ४/३५५ - ७/३२ :
३३८, ८/२६७-२६८, १०/१०९ आदि स्थल। ३१. वही - ७/३२८-३३३-३३८ (३३४से ३३६ भी देखिये) ३२. पद्म पुराण एवं मानस - डॉ रमाकांत शुक्ल, पृ. ३७४-३७५ ३३. त्रिष्टिशलाकापुरूष पर्व ७ के लगभग सभी शोक अनुप्रास के उदारहण
माने जा सकते हैं। ___ यमक के अन्य उदारहण देखिये त्रिशपुच.. पर्व ७, - १/१२, ९२,
१०१, १३९, २/१०२, १०४, १०६, १३९, १६४, १७८, ६०६, ४/
१८४, २४८, ६/२७, ६८, ७०, ८/२४०, १०/१२० ३५. उषमा के अन्य उदारहण देखिये - वही - १/१, ६८, ७१, ७७, ९२,
२/३, ६, ७, १५, ८५, १०१, १०२, १०३, १०४, २३२, २५४, ३१६, ३३४, ३३७, ३४०, ३७५, ४०७, ४४२, ४६२, ४०, ५२२, ५२३, ५३७, ५५५, ५५९, ५८, ५८७, ६०८, ६०७, ६१०, ३/३२, ४७, ५०, ९६, १०७, १६४, १९४, २११,२१८, २२२, ३/२२५, २६४, २८०, २८१, २९१, २९२, २९४, २९५, ४/७, ११-१२, २३, ६२, ६७, ११८, १७०, १७८, १८७, २००, २५४-२५५, २६४, २८५, ३३५, ३४३, ३४४, ३५०, ४१९, ४६२, ४७३, ५३०, ५/१, ५, १७, ३१, ५७, ५८, ७८, ७९, ११५, १६९, १८८, १९६, ४५९. ४६२, ४७३,
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