Book Title: Jain Ramayan
Author(s): Vishnuprasad Vaishnav
Publisher: Shanti Prakashan

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Page 182
________________ २२४. वही - ८/४-५ २२५. वही - १० / ११९ - १२१, १२७, १३४ २२६. वही - १०/१३९-१४२, १४७-१५३ २२७. वही - २ / ३६४-३७२, ४११-४३० २२८. वही - २/४४३-४४६ २२९. वही - व / ४८३-४९४ २३०. वही - ४ / ५६-६५ २३१. वही - २ / ३६४-३७२, ४१९, ४३० २३२. वही २/४३३-४४६ २३३. वही - २/४८३-४९५ - २३४. वही - ४ / ५६-६५ २३५. वही - ४ / २६७-३७० २३६. वही - ५/३२८-३३४ २३७. वही - ७/२४१ - २४६ २३८. वही - १० / २४५ - २५२ २३९. त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित पर्व ७ २४०. वही - ४ / ३३४-३३५ २४९. वही - ४/४५४-४५५ २४२ . वही - ४/४२०-४२१ - २४३. वही - ४ / ३०६-३११ २४४. आचार्य हेमचंद्र : डा. वि. भा. मूसलगांवकर, पृ. ७१ २४५. हेम समीक्षा - सघूसुदन मोदी, पृ. २८९ (गुजराती) २४६. हेमचंद्राचार्यजीनी कृतिओं मोतीचंद्र कापड़िया (गुजराती) १/५६, ७३, ११४ आदि । ६/ २८१-३०७ २४७. त्रिशपुच. पर्व ७ २४८. वही - २ / ३४८-२५१ २४९. त्रिशपुच. पर्व ७ - ३/२४८- २५१ २५०. वही - ६ / १४५-१४७ २५१. वही - ७/५७-६० २५२. वही - ७/३७७ २५३. त्रिशपुच. पर्व ७ देखिये १/३३, २/४२८, ४/२५, १२८, १९०, ६/ ९७ आदि सूक्तियाँ। २५४. काव्य दर्शन - फूलचंद पाण्डेय पृ. ५१ २५५. प्राचीन काव्य कलाघर - हजारी लाल शर्मा, संपादकीय से . २५६. हिन्दी साहित्य का विवेचनात्मक इतियास राजनाथ शर्मा, पृ. २७७ - 181 -

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