Book Title: Jain Ramayan
Author(s): Vishnuprasad Vaishnav
Publisher: Shanti Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 177
________________ ६०. ५५. काव्यलिंग के अन्य उदारहण देखे - वही - २९९, २/३८१, ३/२१७, ४/३६, ५/५३, ३३१-३३२, आदि। ५६. और भी देखिये - वही - २/११२, ५/१०३, ३०९, ६/८४, ९७, १४२, ३०४, ९/१४१, १०/१०९, ११०, आदि स्थल। और देखे - वही - २/५६१-५६२, ४/४४९, आदि स्थल । और भी देखे - वही - १/७३-७४, २/१५२-१५३, २९०-२९१, ७/५७-६१, ६३-६४ आदि। स्वाभावोक्ति के अन्य उदारहण देखिये - ३/९०-९३, ४/१९३, ४/ ३६८-३७०, ४९६, ५५३, १०२, २६६, ६/४०, १०/२११-२१२, ६/ १६८-१७०, २८१, ९/२१८ आदि स्थल। त्रिशपुच. पर्व ७ -२/२२६-२३० वही - २/२६६-२७७ ६२. वही - २/२६६-२६७ ६३. वही - ४/३५५-३५६ ६४. वही - ५/१५१-१५४ ६५. वही - ७/२७४-२७५ ६६. वही - ७/२२९-२३८ ६७. वही - १० / २६० ६८. वही - त्रिशपुच. पर्व ७१/९१-९३ ६९. वही - २/१३० ७०. वही - २/५५१-५५७ ७१. वही - ४/२६५-२६६ ७२. वही - ४/४८७ ७३. वही - ४/५३१ ७४. वही - ५/१-४ ७५. वही - ५/७७-७९ ७६. वही - ५/१०१-१०४ ७७. वही - ५/१६८-१७० '७८. वही - ५/२४१-२४३ ७९. वही - ५/३२२-३२८ ८०. वही - ६/६५-७० ८०. वही - ८/७२ - ७४ ८१. वही - २/२९९-३१० ८२. वही - ३/१३२-१३६ ८३. वही - ३/१८७-१९१ 176

Loading...

Page Navigation
1 ... 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216