Book Title: Jain Mandiro ki Prachinta aur Mathura ka Kankali Tila
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpamala

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Page 5
________________ जैन इतिहास ज्ञान भानु किरण नं. ९ श्री मद्रत्नप्रभसूरि सद्गुरुभ्यो नमः । जैन मन्दिरों की प्राचीनता और मथुरा का कंकाली टीला। भारत एक ऐतिहासिक क्षेत्र है। इसकी धार्मिक, - सामाजिक और राजकीय सभ्यता आदर्श एवं • उच्च कोटि की थी। अन्य देशवासियों ने सभ्यता के पाठ भारत से ही सीखे हैं। इस विषय में भारत को अन्य देशों का गुरु कह देना भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है । क्योंकि इस बात का प्रमाण आज भले ही भारतीयों के पास न हो, पर अन्य देशों का साहित्य स्वयमेव इस बात की गवाही दे रहा है कि भारत सभ्यता की मातृभमि है। ___ भारत का सिलसिलेवार इतिहास न मिलने का मुख्य कारण यह है कि मदान्ध मुसलमानों ने भारत पर कई बार क्रूरतापूर्वक आक्रमण कर अनेकों अमूल्य ज्ञानभण्डार ज्यों के त्यों जला दिये। शिल्पकला के आदर्श उदाहरण असंख्य मन्दिर मूर्तिएं एवं संख्या Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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