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( २१ ) फिर निकला है। जिसका नाम "हरप्पा" रखा गया है । वह नगर करीब दश सहस्र वर्ष जितना पुराना कहा जाता है। उसमें से भी कई मूर्तियाँ निकली हैं। वे भी उस नगर के बराबर ही प्राचीन बताई जाती हैं। क्या मूर्तियों की प्राचीनता के लिए अब भी प्रमाणों की जरूरत है ? ।
५-कलिङ्गदेश के उदयगिरि, खण्डगिरि पहाड़ियों की हस्ती गुफा से एक प्राचीन शिलालेख मिला है। उसमें "कलिंग जिन' नाम की एक मूर्ति का जिक्र है और पटावलियों से पता मिलता है कि वह मूर्ति सम्राट् श्रेणिक ने बनवा कर प्रतिष्ठित करवाई थी। इसके अतिरिक्त वहाँ गुफाओं की भित्तियों पर उसी पाषाण की कोतरी हुई कई प्राचीन जैन मूर्तियाँ आज भी विद्यमान हैं।
६–श्रीमान पं. गौरीशंकरजी ओमा की शोध खोज से एक शिलालेख प्राप्त हुआ है। वह वीरात् ८४ वर्ष का है और वह अजमेर के अजायब घर में सुरक्षित है।
७-आकोला ( बरार ) के पास एक ग्राम में भूगर्भ में से कई मत्तियाँ निकली हैं जिन में कई मूर्तियाँ तो विक्रम संवत् से कई शताब्दियों पहले की बताई जा रही हैं ।
८-पटना के पास खुदाई का काम करते समय जो जैनमूर्तियाँ मिली हैं वे सम्राट कोणिक ( अशोक चंद्र ) के समय बतलाई जाती हैं।
९-जैतलसेर ( काठियावाड़ ) के पास डाका ग्राम से मिली हुई जैन मूर्तियाँ विक्रम पूर्व कई शताब्दियों की हैं।
१०-मथुरा के कंकाली टीला का हाल ऊपर लिखा गया
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