Book Title: Jain Mandiro ki Prachinta aur Mathura ka Kankali Tila Author(s): Gyansundar Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpamala View full book textPage 3
________________ ANTIN0000000000000NROE श्री जैन इतिहास ज्ञान भानु किरण नं. ९ श्रीरत्नप्रभ सूरीश्वर पादपद्धेभ्योनमः जैन मन्दिरों की प्राचीनता मथुरा का कंकाली टोलाविश्य 没age伊伊伊伊伊伊伊伊伊伊伊伊伊伊伊伊伊伊伊伊自母每每每每日 लेखक इतिहास प्रेमी मुनिश्री ज्ञानमुन्दरी महाराज ®®®®®88888880MM®®®88888888 द्रव्य सहायक सोजत श्रीसंघ [श्री भगवती सूत्र की प्रारम्भिक पूजा के द्रव्य से ] श्रोसवाल सम्वत २३६४ सं० २४६३ [प्रति ५०० ] वि० सं० १९८४ मूल्य पठन पाठन और मनन करना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 34