Book Title: Jain Mandiro ki Prachinta aur Mathura ka Kankali Tila
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpamala

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Page 21
________________ मथुरा का कंकाली टीला 2-2-2-en-e-e-e-er-2-22-2-~~-22-2-22 Preeeeeeeeer-2re-em22-22-22222222 4222222222222222222222 22-2--222 घर पर मनु 113 ter ruinsex ऊपर का आयागपट्ट मथुरा के कंकालीटीला के खोद काम करते समय भूमि से प्राप्त हुआ है। इसके लिये भारतीय विद्वान् पुरातत्वज्ञ श्रीमान् राखलदास वेनर्जी का मत है कि “साधारण रीते चार मत्स्य । पूच्छना केन्द्र स्थले एक गोलाकार स्थानने विषय एक बेठी जैनमूर्ति होय । के छे वि० सं ना प्रारम्भ पूर्व बे सौ वर्ष उपर सिंहक वणिकना पुत्र अने " कौसिकी गौत्रीय मात्ताना संतान सिंहनादि के मथुरा मां जे आयागपट्टनी के प्रतिष्ठा करीहती तेमां उपरोक्त विवस्था जोवामा आवे छे" - : क्या मूर्तिपूजा की प्राचीनता में अभी भी किसी को शंका है ? नहीं। e-or -e-e-2-2 -e-ee- recree-e

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