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मथुरा का कंकाली टीला 2-2-2-en-e-e-e-er-2-22-2-~~-22-2-22
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ऊपर का आयागपट्ट मथुरा के कंकालीटीला के खोद काम करते समय भूमि से प्राप्त हुआ है। इसके लिये भारतीय विद्वान् पुरातत्वज्ञ श्रीमान् राखलदास वेनर्जी का मत है कि “साधारण रीते चार मत्स्य ।
पूच्छना केन्द्र स्थले एक गोलाकार स्थानने विषय एक बेठी जैनमूर्ति होय । के छे वि० सं ना प्रारम्भ पूर्व बे सौ वर्ष उपर सिंहक वणिकना पुत्र अने "
कौसिकी गौत्रीय मात्ताना संतान सिंहनादि के मथुरा मां जे आयागपट्टनी के प्रतिष्ठा करीहती तेमां उपरोक्त विवस्था जोवामा आवे छे" -
: क्या मूर्तिपूजा की प्राचीनता में अभी भी किसी को शंका है ? नहीं।
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