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________________ ( १६ ) .९ -मथुरा के कङ्काली टीला से जो प्राचीन चीजें मिली थीं वे सब प्रायः लखनऊ के ही अजायबघर में रखी गई हैं। डाक्टर फुहरर ने उनमें से मुख्य २ चीजों के फोटो लेकर एक पुस्तक लिखने का विचार किया था, पर इसके पहिले ही वे सरकारी नौकरी से अलग हो गए । इसलिए इस प्रान्त के भूतपूर्व छोटे लाट सर एटोनी मेकडानल ने यह काम डाक्टर स्मिथ साहब को सौंपा, और उन्होंने इसका सम्पादन किया। परन्तु प्रारंभ में जिसने इन शिलालेखों का या चित्रों का संग्रह कर इनके फोटो लिए थे यदि वही इनका वर्णन लिखते तो बात कुछ और ही थी। क्योंकि संग्रह किये हुए पदार्थों का तात्त्विक विवेचन जैसा. संग्रहकर्ता स्वयं कर सकता है वैसा तटस्थ व्यक्ति नहीं कर सकता। फिर भी स्मिथ साहिब ने कङ्काली टोला से प्राप्त हुई चीजों की ठीक ही समालोचना की है और यह जनोपयोगी कार्य कर ऐतिहासिक जगत् में अपना नाम अमर कर लिया है। आपको इस कार्य में बाबू पूरनचन्द्र मुकर्जी ने भी पर्याप्त सहायता दी थी। स्मिथ साहिब की उक्त पुस्तक को ई० सन् १९०१ में गवर्नमेन्ट सरकार ने प्रकाशित करवा दिया है। और विषय के अनुसार उसके २३ विभाग किये हैं। उसमें १०७ चित्र हैं। यह लेख भी उसी पुस्तक की सहायता से तैयार किया गया है। अब मैं थोड़े में उस पुस्तक के अन्तर्गत प्रधान २ चित्रों की आलोचना कर इस लेख को समाप्त करता हूँ। १-आयाग पट्ट-यह एक पत्थर का चौरस टुकड़ा है। इसके बीच में एक जिन मत्ति है। उसके चारों ओर बहुत सुन्दर नक्काशी का काम है। तीर्थङ्करों के सन्मानार्थ ऐसे ९ पट्ट Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034865
Book TitleJain Mandiro ki Prachinta aur Mathura ka Kankali Tila
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpamala
Publication Year1938
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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