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नागरीप्रचारिणी पत्रिका
व लिंगराज के पास गया और कलिंग का राजा हुआ इत्यादि वृत्तांत थेरावली के शब्दों में ही नीचे लिख देते हैं । विद्वान लोग देखेंगे कि कैसी अपूर्व घटना है ।
"वैशाली का राजा चटक तीर्थंकर महावीर का उत्कृष्ट श्रमणोपासक था। चंपा नगरी का अधिपति राजा काणिक, जो कि चटक का भानजा था, (अन्य श्वेतांबर जैन संप्रदाय के ग्रंथों में काणिक को चटक का दोहिता लिखा
) वैशाली पर चढ़ आया और उसने लड़ाई में चटक को हरा दिया । लड़ाई में हारने के बाद अन्न-जल का त्याग कर राजा चेटक स्वर्गवासी हुआ। चेंटक का शोभनराय नाम का एक पुत्र वहाँ से ( वैशाली नगरी से ) भागकर अपने वर कलिंगाधिपति सुलोचन की शरण में गया । सुलोचन के पुत्र नहीं था इसलिये अपने दामाद शोभनराय को कलिंग देश का राज्यासन देकर वह परलोकवासी हुआ ।
भगवान् महावीर के निर्वाण के बाद १८ वर्ष बीतने पर शोभनाय का कलिंग की राजधानी कनकपुर में राज्याभिषेक हुआ । शोभनराय जैन धर्म का उपासक था। वह कलिंग देश में तीर्थस्वरूप कुमार पर्वत पर यात्रा करके उत्कृष्ट श्रावक बन गया ।
शोभनराय के वंश में पाँचवीं पीढ़ो में चंडराय नामक राजा हुआ जो महावीर के निर्वाण से १४८ वर्ष परलिंग के राज्यासन पर बैठा था ।
चंडराय के समय में पाटलिपुत्र नगर में आठवाँ नंद राजा राज्य करता था, जो मिथ्याधर्मी और प्रति लोभी था। वह कलिंग देश को नष्ट भ्रष्ट करके तीर्थ स्वरूप
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